कोलकाता,भारती जैनानी : पश्चिम बंगाल में दिसंबर, 2022 में हुई प्राथमिक टेट (टीईटी) की परीक्षा में 11 हजार रिक्तियों के लिए 7 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था लेकिन 2023 की टीईटी परीक्षा (Tet Exam) के लिए सिर्फ 3 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने आवेदन किया है. इस संख्या को लेकर शिक्षाविद अलग-अलग बयान दे रहे हैं. कइयों का कहना है कि प्राइमरी व अपर प्राइमरी के अभ्यर्थी लंबे समय से सड़कों पर नौकरी की मांग पर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन अब तक वे वंचित हैं. उनका हाल देखकर दूसरे लोग अब टेट की परीक्षा देने से कतरा रहे हैं. उनको यह विश्वास हो गया है कि अब बंगाल में बिना लाखों रुपये की घूस दिये उनको नौकरी मिलने वाली नहीं है. हालांकि प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन अभी तक केवल इतने आवेदन प्राप्त हुए हैं.
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में एनआरएस-ए डीओएम नौकरियों में 6 रिक्तियों के लिए 6000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट से लेकर इंजीनियर डिग्री धारकों ने भी आवेदन किया है लेकिन टीईटी परीक्षा में छात्रों की कम रुचि देखी जा रही है. वर्ष 2022 में हुई टेट की परीक्षा करीब 5 साल बाद ली गयी, जिसमें सात लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया. उस परीक्षा के ठीक एक साल बाद टेट दोबारा लिया जा रहा है, जिसमें 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है. वर्ष 2014 या 2017 में टीईटी पास करने के बाद भी कई लोग नौकरी न मिलने पर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, यही कारण है कि कइयों ने आवेदन नहीं किया है. शिक्षा समुदाय के एक वर्ग का मानना है कि गिरावट की प्रवृत्ति का एक कारण यह भी है.
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इस मसले पर प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष गौतम पाल ने कहा, ‘नौकरियां एक तरीके से होती हैं और टेट एक अलग तरीका है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया था कि बीएड की डिग्री को प्राथमिक भर्ती योग्यता नहीं माना जाना चाहिए. अगर आपके पास डीएलएड प्रशिक्षण है तो ही आप आवेदन नहीं कर सकते, यही क्राइटेरिया है, शायद इसी वजह से संख्या कम हुई है. इस पर 2014 में टीईटी पास करने वाले एक नौकरी उम्मीदवार का कहना है कि लगभग 9 साल हो गये हैं और अभी तक कोई भर्ती नहीं हुई है. तीन साल से आंदोलन चल रहा है. योग्य उम्मीदवारों को सड़कों पर बैठे देखकर लोगों की उम्मीद टूटती जा रही है. अगर 2 साल की ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिलती है तो उम्मीदवारों की रुचि खत्म हो जायेगी.