पश्चिम बंगाल में शिक्षक की नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों की जिंदगी के 10 साल बीत चुके हैं और अब उनके पास किसी भी नयी नौकरी के लिए परीक्षा देने का समय भी नहीं बचा है. आंदोलनकारियों का धर्मतला के बाद शिक्षा विभाग के कार्यालय और विकास भवन के पास विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. अपर प्राइमरी के अभ्यर्थियों ने शीघ्र नौकरी की मांग पर गत बुधवार से विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. गुरुवार से वे भूख हड़ताल पर बैठ गये. पूरी रात ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठ कर भूख हड़ताल करने वाले इन अभ्यर्थियों की शुक्रवार को तबीयत खराब हो गयी. सुबह दो अभ्यर्थी बुरी तरह से बीमार पड़ गये. वे बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े. बाद में दोनों को अस्पताल ले जाया गया.
इसके बावजूद ये अभ्यर्थी भूख हड़ताल के फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि सरकार की ओर से जवाब नहीं आने तक वे भूख हड़ताल जारी रखेंगे. उनका कहना है कि विस्तारित रिक्तियों पर शीघ्र नियुक्ति की जाये. वे इस मांग को लेकर 527 दिनों से मातंगिनी हाजरा मूर्ति व शहीद मीनार के पास धरना दे रहे हैं. हालांकि, कोई समाधान नहीं निकलने पर उन्होंने इस बार विरोध प्रदर्शन का स्थान बदल दिया.
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अभ्यर्थियों का दावा है कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विकास भवन के पास आंदोलन शुरू किया गया है. ये अभ्यर्थी कलकत्ता उच्च न्यायालय की अनुमति से सड़कों पर बैठे हैं. आंदोलनकारियों का दावा है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि नियुक्ति कानून के अनुरूप की जायेगी. हम भी चाहते हैं कि हमारी नियुक्ति कानून के मुताबिक हो. गौरतलब है कि वामपंथी नेता दीप्सिता धर, कांग्रेस नेता कौस्तुभ बागची और अन्य गुरुवार शाम को प्रदर्शनकारियों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए करुणामयी में मौजूद रहे.
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