कोलकाता, शिव कुमार राउत : मुर्शिदाबाद जिले के लालगोला स्थित ओपन एयर करेक्शनल होम राज्य का एकमात्र जेल है, जहां कैदी अपने परिवार के साथ दिन भर रह सकता है. यह राज्य का एकमात्र ऐसा जेल है, जहां कैदियों के परिजनों के ठहराने के लिए विशेष कॉटेज बनाये गये हैं. एक साल पहले इस जेल में 20 कॉटेज बनाये गये थे. इन कॉटेज में कैदी अपने परिवार के साथ सुबह छह बजे से शाम सात बजे तक रह सकता है. यह जानकारी विधानसभा में राज्य के कारा मंत्री अखिल गिरि ने दी. उन्होंने विधानसभा में बताया कि रायगंज, मेदिनीपुर और दुर्गापुर में भी एक-एक ओपन एयर करेक्शनल होम हैं. इन चार खुले जेल में फिलहाल 1,200 कैदी हैं.
मंत्री ने बताया कि, वैसे कैदी जो सात साल या उससे अधिक की अवधि के लिए कैद की सजा हुई है, और उनमें से जो पहले ही अपनी सजा का 2/3 हिस्सा काट चुके हैं और जिले में उनका अच्छा रिकॉर्ड है. इन कैदियों को पूरी जांच के बाद ओपन जेल या खुली हवा सुधार गृह में स्थानांतरित किया जाता है. ऐसे कैदियों के चयन के लिए एक बोर्ड भी है. यह बोर्ड साक्षात्कार के बाद कैदियों को उक्त जेल में भेजने का निर्णय लेता है. रोजगार के लिए इस जेल के कैदी अपनी पसंद का कोई भी कार्य कर सकते हैं. रोजगार के लिए यहां के कैदी सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक जेल के बाहर जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इन कैदियों से प्राणी संपदा, हॉर्टिकल्चर और पंचायत का कार्य कराया जाता है.
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मंत्री अखिल गिरि ने बताया राज्य भर के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सुबह के नाश्ते में चिउड़ा-चाय, दोपहर में सप्ताह में एक दिन मटन, एक दिन चिकन, एक दिन मछली, अंडा और सब्जी दी जाती है. रात में कैदियों की मांग पर रोटी और चावल, दोनों की व्यवस्था रहती है. उन्होंने बताया कि कैदियों के भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार की गयी है.
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कारा मंत्री ने विधानसभा को बताया कि फिलहाल जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या 27,752 है. इनमें विदेशी कैदियों की संख्या 2,084 हैं. वहीं, 160 कैदी ऐसे हैं, जिनकी सजा की मियाद पूरी हो चुकी है. पर उन्हें परिवार लेने नहीं आ रहा है. वहीं, जेल में बंद विदेशी विचाराधीन कैदियों में 1,074 बांग्लादेशी कैदी हैं. इन विदेशी कैदियों में नेपाल, म्यांमार व जापान के लोग हैं.
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