कोलकाता : जाति और पंथ की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पश्चिम बंगाल में दो दोस्त मिल गये हैं. उनके नाम हैं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस. ये दावा किया है बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने.
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने यहां कहा कि 28 फरवरी को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम मोर्चा, कांग्रेस और नवनिर्मित इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) की संयुक्त रैली से साफ हो गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियां भगवा दल की तरह बांटने वाली राजनीति कर रही हैं.
हालांकि, उन्होंने दोनों पार्टियों पर इस तरह के आरोप लगाने का कोई कारण नहीं बताया. बंगाल में सत्ता से बाहर होने के एक दशक बाद वाम मोर्चा ने कांग्रेस और मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दीकी की नयी पार्टी आइएफएस से गठबंधन किया है.
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श्री मुखर्जी ने दावा किया, हम हमेशा से जानते थे कि माकपा और कांग्रेस जाति और पंथ की राजनीति नहीं करती हैं. ब्रिगेड सभा के बाद वह विश्वास बदल गया. माकपा और कांग्रेस के रूप में भाजपा को अब दो दोस्त मिल गये हैं.
सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव की तैयारियों को देखने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक चुनाव समिति गठित की गयी है. समिति में सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय और अभिषेक बनर्जी समेत अन्य सदस्य हैं. इसकी पहली बैठक सोमवार को हुई.
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पंचायत मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे स्वास्थ साथी, खाद्य साथी और कन्याश्री ने राज्य में लाखों लोगों के जीवन को बेहतर किया है.
सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि पिछले एक साल में बैंकों ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को 63,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जिससे लगभग 23 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं. उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार की ओर से शुरू की गयी योजनाएं देश में कहीं और नहीं हैं. कोई सरकार इतने बड़े स्तर पर लोगों को लाभ नहीं पहुंचा सकी है.
Posted By : Mithilesh Jha