Bengal Chunav 2021: बंगाल में लागू नहीं हुई कई केंद्रीय योजनाएं, महिला वोटरों को इस बार कैसे अपने पाले में करेंगी ममता बनर्जी, In Depth रिपोर्ट
Bengal Chunav 2021 | How Mamata Banerjee And BJP will manage to get Female Vote Bengal Election 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होना है. पहले चरण में पांच जिलों के 30 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इसके बाद दूसरे चरण का मतदान 1 अप्रैल को होगा. इस चरण में भी पांच जिले पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, पुरुलिया,झारग्राम और बांकुड़ा में वोटिंग होगी. कुल आठ फेज में चुनाव आयोजित किये जाएंगे. इसके लिए प्रचार अभियान शुरू हो चुका है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होना है. पहले चरण में पांच जिलों के 30 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इसके बाद दूसरे चरण का मतदान 1 अप्रैल को होगा. इस चरण में भी पांच जिले पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, पुरुलिया,झारग्राम और बांकुड़ा में वोटिंग होगी. कुल आठ फेज में चुनाव आयोजित किये जाएंगे. इसके लिए प्रचार अभियान शुरू हो चुका है.
वोटरों को लुभाने के लिए ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां हो रही हैं. पीएम मोदी, अमित शाह, ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी आमने सामने हैं. एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ममता बनर्जी केंद्र पर आरोप लगा रही है. जबकि जबकि पीएम मोदी और अमित शाह यह आरोप लगा रहे हैं कि ममता बनर्जी ने केंद्र की योजनाओं को राज्य में लागू नहीं होने दिया, इसके कारण केंद्र की योजनाओं का लाभ लेने से बंगाल की जनता वंचित रही.
अब ऐसे में यह बात सामने आ रही है कि इस बार के चुनाव में बंगाल की जनता किसे चुनती है. क्या केंद्र कि योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रखने के लिए ममता का वोट कट सकता है. प्रधानमंत्री अपनी सभी रैलियों से ममता बनर्जी पर आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र की योजनाओं का लाभ राज्य की जनता को नहीं लेने दिया गया. आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना, हर घर जल नल योजना, स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिलने वाले लाभ, पीएम किसान योजना जैसी कई योजनाएं हैं जिनका लाभ राज्य की जनता को नहीं मिल पाया है.
बीजेपी का संकल्प पत्र जारी करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि राज्य केंद्र के साथ मिलकर कार्य करें और केंद्र राज्य के साथ मिलकर कार्य करें तो देश और राज्य दोनों का विकास होता है. पर बंगाल में ऐसा नहीं हो रहा है. यह स्पष्ट संकेत हैं कि राज्य में केंद्र की योजनाओं का क्या हाल है.
बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र और टीएमसी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. दोनों के संकल्प पत्र में महिलाओं को प्राथमिकता दी गयी है. इसके इसके अलावा किसानों को भी प्राथमिकता मिली है. बाकी अन्य सरकारी घोषणाओं का जिक्र है. बीजेपी ने केंद्र की योजनाओं का लाभ देने का वादा बंगाल के वोटर्स से किया है. ममता बनर्जी ने भी घर घर राशन पहुंचाने की घोषणा की है.
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पर सवाल है कि महिलाओं पर इतना फोकस क्यों ?अगर चुनाव आयोग के आंकड़ों को देखे तो बंगाल में कुल 7.32 करोड़ वोटर्स हैं. इनमें 49 फीसदी महिलाएं हैं. यहां कि महिलाएं जागरूक वोटर्स भी हैं और चुनाव में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं. 2011 के चुनाव में 84.45 फीसदी महिलाओं ने वोट किया था, जबकि 2016 के चुनाव में 83.13 फीसदी महिलाओं ने वोट किया था.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी के 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 2014 के चुनाव में 42 फीसदी महिलाओं ने टीएमसी को वोट दिया था. जबिक लेफ्ट का महिला वोट 12 फीसदी घटा था. 2016 के विधानसभा सभा चुनाव में भी महिलाओं का झुकाव टीएमसी की और था. पर 2019 के चुनाव में महिलाओं का रूझान बीजेपी की ओर बढ़ा.
अमित शाह के मुताबिक बंगाल में 74 लाख किसान हैं. वो भी केंद्र की कृषि संबंधित योजनाओं से वंचित हैं. अब अब ऐसे में सवाल यह हैं कि 74 लाख किसान और 49 फीसदी महिला वोटर्स जिन्हें केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है उन्हें ममता बनर्जी अपने पाले में करने में कैसे कामयाब होती हैं. क्योंकि बीजेपी ने यहां अपने संकल्प पत्र के जरिये उन योजनाओं को जनता के सामने रख दिया है. तो जाहिर सी बात है जनता उन योजनाओं का लाभ लेना चाहेंगी.
ममता बनर्जी को उम्मीद है कि महिलाओं के लिए घोषणा के जरिये वो महिला वोट पाने में कामयाब होगी. साथ में वो खुद एक महिला चेहरा है. दूसरी ओर बीजेपी सिर्फ केंद्रीय योजनाओं के दम पर ही 49 फीसदी वोटर्स को लुभाने में लगी है क्योंकि पार्टी के पास राज्य में कोई बड़ा महिला चेहरा नहीं है. इन सबके बीच राज्य में महिलाओं कि क्या स्थिति है यह बात किसी से छिपी नहीं है. एनसीआरबी के आंकड़े सच्चाई बताने के लिए काफी हैं.
Posted By: Pawan Singh