Bengal Chunav 2021 : उत्तर 24 परगना जिला के बीजपुर विधानसभा सीट पर लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करनेवाली टीएमसी इस बार अपने ही बागी नेता मुकुल रॉय की घेराबंदी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस बार चुनाव में बीजपुर सीट से मुकुल रॉय के बेटे की राह आसान नहीं होगी. बतौर तृणमूल उम्मीदवार शुभ्रांशु राय इस सीट पर दो बार विजयी रहे हैं. शुभ्रांशु भाजपा नेता मुकुल राय के पुत्र हैं. मुकुल कभी राजनीति में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के चाणक्य माने जाते थे.
पिता के भाजपा में शामिल होने के बावजूद शुभ्रांशु ने तृणमूल कांग्रेस नहीं छोड़ी थी, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के एक दिन बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दल विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. हालांकि, निलंबित किये जाने के पहले ही शुभ्रांशु ने अपने पिता के संगठन कौशल की प्रशंसा की थी.
लोकसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों में पार्टियों के प्रदर्शन पर गौर करें, तो वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 28 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी, जबकि वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 128 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा.
इधर, साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 214 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल करनेवाली तृणमूल कांग्रेस, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 158 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बना सकी. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211, वाममोर्चा को 33, कांग्रेस को 44 और भाजपा को मात्र तीन सीटें मिली थीं, लेकिन वोट शेयर में भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया.
तृणमूल ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट हासिल किये. वहीं भाजपा को 40.3 प्रतिशत वोट मिले. भाजपा को कुल 2,30,28,343 वोट मिले, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 2,47,56,985 वोट मिले थे. राजनीति के पंडितों का कहना है कि बीजपुर कभी माकपा का गढ़ भी रहा है, इसलिए लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है. वर्ष 1977 से साल 2006 तक लगातार सात बार विधानसभा चुनावों में इस सीट पर माकपा उम्मीदवार विजयी रहे हैं. वर्ष 2011 व 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे.
2016 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शुभ्रांशु राय को 76,842 वोट मिले थे, जबकि माकपा उम्मीदवार डॉ रवींद्रनाथ मुखर्जी को 28,888 वोट और भाजपा उम्मीदवार आलो रानी छाया को 13,731 वोट मिले थे. इसके पहले 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार शुभ्रांशु राय को 65,479 वोट मिले, जबकि माकपा उम्मीदवार डॉ निर्झरिणी चक्रवर्ती को 52,867 वोट और भाजपा उम्मीदवार कमल कांत चौधरी को 4,841 वोट मिले थे.
तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से राज्य के दूसरे हिस्सों की तरह बीजपुर विधानसभा क्षेत्र का विकास जारी है. सड़क की हालत सुधरी है. राज्य सरकार के ‘दुआरे सरकार’ अभियान का लाभ बीजपुर के लोगों को भी मिल रहा है. तृणमूल कांग्रेस लोगों के विकास के लिए राजनीति करती है. मुझे भरोसा है कि इस बार भी बीजपुर के लोग तृणमूल कांग्रेस का ही समर्थन करेंगे.
-सुबोध अधिकारी, चेयरमैन, तृणमूल कांग्रेस, बीजपुर.
राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बावजूद बेरोजगार युवकों का कोई भला नहीं हुआ है. उनकी वैसी ही स्थिति है, जैसी वाममोर्चा के शासनकाल में थी. साथ ही कई ऐसे मसले हैं, जिससे राज्य के लोग परिवर्तन चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि बीजपुर विधानसभा क्षेत्र में भी ‘कमल’ ही खिलेगा.
–शुभ्रांशु राय, विधायक व भाजपा नेता
पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र को बचाना जरूरी है. तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद उद्योग-धंधों की दशा काफी बिगड़ी है. गत दो वर्षों में राज्य में सांप्रदायिक शक्तियों को भी बल मिला है. लोगों के हितों की मांग पर बीजपुर में भी माकपा का आंदोलन जारी है. इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और तृणमूल विरोधी ताकतों के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है.
–शंभू चटर्जी, माकपा नेता
Posted By : Avinish kumar mishra