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Bengal Chunav 2021: बालीगंज में सुब्रत मुखर्जी की हैट्रिक में रोड़ा बनेंग बीजेपी के वकील और माकपा के डॉक्टर

बदले राजनीतिक परिदृश्य में सुब्रत मुखर्जी की राह आसान नहीं है. इस बार उन्हें भाजपा व माकपा से कड़ी टक्कर मिल रही है. भाजपा ने यहां से वकील लोकनाथ चटर्जी को मैदान में उतारा है. वहीं, यहां से संयुक्त मोर्चा समर्थित माकपा प्रत्याशी डॉक्टर फुवाद हलीम भी प्रत्याशी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2021 12:21 PM

कोलकाता : कोलकाता की बालीगंज विधानसभा सीट पर दो बार से लगातार जीत रहे तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता व मंत्री सुब्रत मुखर्जी एक बार फिर मैदान में हैं. बंगाल में वर्ष 2011 के सत्ता परिवर्तन के बाद से ही वह राज्य के मंत्री हैं. पंचायत व ग्रामीण विकास जैसे अहम विभाग संभालने का उनका लंबा अनुभव है.

बदले राजनीतिक परिदृश्य में श्री मुखर्जी की चुनावी राह आसान नहीं है. इस बार उन्हें भाजपा व माकपा से कड़ी टक्कर मिल रही है. भाजपा ने यहां से वकील लोकनाथ चटर्जी को मैदान में उतारा है. वहीं, यहां से संयुक्त मोर्चा समर्थित माकपा प्रत्याशी डॉक्टर फुवाद हलीम भी प्रत्याशी हैं.

डॉ हलीम को राजनीति विरासत में मिली है. उनके वालिद मरहूम हाशिम अब्दुल हलीम वाममोर्चा के दीर्घकालिक शासनकाल में लगातार 29 वर्षों तक (1982-2011) बंगाल विधानसभा के सभापति (स्पीकर) रहे हैं.

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15 वर्षों से है तृणमूल का कब्जा

बालीगंज सीट पर वर्ष 2006 से तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. वर्ष 2016 में सुब्रत मुखर्जी लगातार दूसरी बार यहां से विधायक बने थे. उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की कृष्णा देवनाथ को 15,225 वोटों के अंतर से हराया था.

तब सुब्रत मुखर्जी को 70,083 वोट मिले थे. इससे पहले 2011 के विधानसभा चुनाव में यहां से तृणमूल के सुब्रत मुखर्जी ने माकपा प्रत्याशी डॉ फुवाद हलीम को हराया था. इससे पहले वर्ष 2006 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पहली बार इस सीट पर जीती थी.

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हार-जीत तय करते हैं हिंदीभाषी व मुस्लिम वोटर

बालीगंज विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 फीसदी हिंदीभाषी मतदाता हैं, जबकि बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं. हार-जीत तय करने में इनका अहम रोल होता है.

Posted By : Mithilesh Jha

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