राजनीति के खेल में कब कौन सा खिलाड़ी किस मुद्दे को लेकर फ्रंटफुट या बैकफुट पर आ जाए यह कहना बड़ा ही मुश्किल होता है. पर सियासत के खेल में माहिर खिलाड़ी इस बात को बखूबी जानते हैं कि कब किस मुद्दे पर फ्रंटफुट में आकर खेलना है और किस मुद्दे पर बैकफुट में जाकर डिफेंसिव शॉट लगाना है. पश्चिम बंगाल के सियासी मैदान में इन दिनों यही चल रहा है. खास कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बात करें तो ममता बनर्जी फिर इस बार बाहरी भीतरी के मुद्दे पर बैकफुट पर आकर डिफेंसिव मोड में खेल रही हैं. ममता बनर्जी ऐसे समय में बैकफुट पर आयी है जब पांच चरण के चुनाव हो चुके हैं, बाकी तीन चरणों का चुनाव होना बाकी है.
दरअसल बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ही ममता बनर्जी बाहरी भीतरी के मुद्दे को उठा रही थी. कई मौकों पर उन्होंने गुजरात का नाम लिया था. उन्होंने कहा था की बंगाल में गुजरात की पॉलिटिक्स नहीं चलेंगी. पीएम मोदी अमित शाह समेत बीजेपी के बड़े नेताओं को बाहरी करार दिया था. उन्होंने कहा था बीजेपी के लोग बाहरी हैं. बीजेपी के लोग यूपी बिहार के गुंडो को लाकर बंगाल में हिंसा फैलाने की साजिश रच रहे हैं. बाहरी भीतरी के मुद्दे पर उस वक्त ममता फ्रंटफुट पर थीं, पर अचानक पांच चरण का चुनाव बीत जाने के बाद इस मुद्दे पर ममता बनर्जी बैक फुट पर आ गयी है.
एक निजी खबरिया चैनल को इंटरव्यु के दौरान ममता बनर्जी ने बाहरी भीतरी के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि वो पीएम मोदी और अमित शाह को बाहरी नहीं बोल रहीं थी. वो बीजेपी के बुलाए गुंडों को बाहरी बोल रहीं थी. सीएम ममता ने कहा कि उन्हें वो अभी भी बाहरी ही बोलेंगी. उनके कारण ही राज्य में कोरोना फैला है.
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ऐसा नहीं है कि पहली बार ममता बनर्जी किसी मुद्दें को लेकर बैकफुट पर आयी हैं. इससे पहले भी शीतलकुची मामले में ऑडियो चैट वायरल होने के मामलें में पहले वो बेहद नाराज हुई थीं और फ्रंट फुट पर आकर खेलना चाह रही थी पर इसके बाद अब वो कह रही है कि इसमें मेरी आवाज है और मैंने इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं कहा है.
Posted By: Pawan Singh