अधिक वोटिंग का मतलब हर बार सत्ता परिवर्तन ही नहीं होता
पश्चिम बंगाल में हमेशा वोटिंग अधिक होती रही है. इस बार भी यही ट्रेंड दिख रहा है. हालांकि, चौथे चरण में 80 फीसदी से कम वोटिंग हुई. इसके पीछे कहीं न कहीं हिंसा व कुछ इलाकों में हुई बारिश को कारण बताया जा रहा है. अमूमन अधिक वोटिंग सत्ता के बदलाव का संकेत माना जाता है.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में चार चरणों की वोटिंग हो चुकी है. इन चार चरणों में राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से 135 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल व 29 अप्रैल को क्रमश: पांचवें, छठे, सातवें और आठवें चरण की वोटिंग होनी है. मतगणना 2 मई को होगी.
चार चरण के बाद तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी और भाजपा अपने-अपने पक्ष में वोटिंग होने का दावा कर रहे हैं. कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन भी बेहतर प्रदर्शन का दावा कर रहे हैं. इन दावों से इतर विभिन्न राजनीतिक दलों के पक्ष में अब तक दिखे वोटिंग ट्रेंड को समझने की कोशिश करते हैं.
पश्चिम बंगाल में हमेशा वोटिंग अधिक होती रही है. इस बार भी यही ट्रेंड दिख रहा है. हालांकि, चौथे चरण में 80 फीसदी से कम वोटिंग हुई. इसके पीछे कहीं न कहीं हिंसा व कुछ इलाकों में हुई बारिश को कारण बताया जा रहा है. अमूमन अधिक वोटिंग सत्ता के बदलाव का संकेत माना जाता है.
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बंगाल में ज्यादा वोटिंग नयी बात नहीं
आमतौर पर उदासीन या कम वोटिंग सत्ता के पक्ष में समझी जाती है. पर पश्चिम बंगाल जैसे राज्य, जहां पहले से चुनाव-दर-चुनाव 80 फीसदी से अधिक वोटिंग होती रही है, ऐसे आकलन अक्सर सही साबित नहीं हुए हैं.
राज्य का एक दिलचस्प इतिहास भी रहा है. भले ही चुनाव में हमेशा नजदीकी या कांटे का मुकाबला दिखा हो, पर 1965 से यह परंपरा रही है कि जीत दर्ज करने वाली पार्टी या गठबंधन को 200 से कम सीटें नहीं मिली हैं.
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पिछली बार 83.02% हुआ था मतदान
अब तक जिन चार चरणों में वोटिंग हुई है, यदि उन्हीं इलाकों में 2016 के विधानसभा चुनाव में हुए वोटिंग ट्रेंड को देखें, तब यहां 81 फीसदी वोटिग हुई थी. हालांकि, कुल वोटिंग 83.02 फीसदी हुई थी. मतलब बाकी के चरणों में 2016 में भारी मतदान हुआ था. कम से कम दो ऐसे चरण थे, जिनमें 49 से अधिक ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर 40 फीसदी से अधिक हैं.
इसके अलावा कई शहरी इलाकों में वोटिंग होनी है. साथ ही राज्य में गर्मी भी तेजी से बढ़ रही है. इन तमाम हालात के मद्देनजर इंटरवल यानी आधे चरण के बाद बाकी के चार चरणों में क्लाइमेक्स आने वाला है.
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और बंगाल में आ गये राहुल गांधी
इंटरवल के बाद अब कांग्रेस भी राज्य में गंभीरता से चुनाव प्रचार में उतर गयी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार के लिए मैदान में आ गये हैं. उन्होंने पीएम मोदी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपनी रैलियों में आड़े हाथ लिया. चूंकि कांग्रेस केरल में लेफ्ट के खिलाफ लड़ रही थी, इसीलिए अब तक वे बंगाल नहीं गये थे. राज्य में कांग्रेस, लेफ्ट व आइएसएफ के साथ गठबंधन के तहत संयुक्त मोर्चा के बैनर तले चुनाव मैदान में है.
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Posted By : Mithilesh Jha