Bengal Chunav 2021: कांग्रेस में राहुल गांघी के बाद नहीं है बड़े चेहरे ! TMC का प्रचार करेंगी कांग्रेस की सहयोगी क्षेत्रीय पार्टियां

bengal Chunav 2021, Rahul Gandhi does not have big faces in bengal Congress: पश्चिम बंगाल चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी के बीच होता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस, लेफ्ट और आईएसफ की गठबंधन संयुक्त मोर्चा भी चुनावी मैदान में है लेकिन मुख्य लड़ाई बीजेपी और टीएमसी की है. इसके इतर भी बंगाल में एक और लड़ाई चल रही है. बीजेपी के खिलाफ लड़ाई. संयुक्त मोर्चा और टीएमसी की मुख्य लड़ाई बीजेपी से हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2021 9:50 AM
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पश्चिम बंगाल चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी के बीच होता दिखाई दे रहा है. कांग्रेस, लेफ्ट और आईएसफ की गठबंधन संयुक्त मोर्चा भी चुनावी मैदान में है लेकिन मुख्य लड़ाई बीजेपी और टीएमसी की है. इसके इतर भी बंगाल में एक और लड़ाई चल रही है. बीजेपी के खिलाफ लड़ाई. संयुक्त मोर्चा और टीएमसी की मुख्य लड़ाई बीजेपी से हैं.

इस चुनाव में एक और बात सामने आयी कि चुनावों के घोषणा के वक्त झारखंड की जेएमएम, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, बिहार की राजद समेत कई क्षेत्रीय दल‍ों ने बंगाल के चुनावी मैंदान में अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही थी. पर जैसे जैसे राज्य का सियासी पारा चढ़ता गया. दूसरे राज्यों से आने वाली पार्टियों का मनोबल भी पिघलता गया.

आज हालात यह है कि जो दल पहले राज्य में अपने उम्मीदवार उतारने की चाहत रखते थे आज वो ममता बनर्जी के लिए बीजेपी के खिलाफ प्रचार में अपना योगदान देने की बात कर रहे हैं. आजसू को छोड़कर झारखंड, बिहार और यूपी की क्षेत्रीय पार्टियां अब बंगाल में बीजेपी के खिलाफ एक हो गयी है. इसमें शरद पवार की एनसीपी भी है.

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हालांकि मायावती ने एलान किया है कि वो बंगाल में अलग से चुनाव लड़ेगी. पर बाकी सभी क्षेत्रीय पार्टियां बंगाल में बीजेपी के खिलाफ एक हो गयी है. इसके कई मायने हो सकते हैं. क्या बंगाल चुनाव सभी दलों के लिए इतना महत्वपूर्ण हो चला है कि सभी क्षेत्रीय दल एक साथ है. क्या यह बीजेपी का डर है कि सभी को एक छत के नीचे आना पड़ रहा है.

यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुंबई में एनसीपी और कांग्रेस गंठबंधन में हैं, पर शरद पवार यहां टीएमसी के लिए कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेंगे. झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार है. इसके बाद भी ये नेता पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करके टीएमसी का साथ दे रहे हैं.

यहां से कांग्रेस भी चुनावी मैदान में हैं पर कोई भी क्षेत्रीय पार्टी के नेता जो दूसरे राज्यों में कांग्रेस के साथ हैं उन्होंने भी कांग्रेस से किनारा कर लिया है. इन सबमें सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को होत दिख रहा है क्योंकि बंगाल चुनाव में पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है और ना ही क्षेत्रीय पार्टी के नेता हैं जो उसके लिए प्रचार कर सकें.

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Posted By: Pawan Singh

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