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Bengal Chunav 2021: बनारस की शालिनी ने ममता को भेजा ‘राम दरबार’, नंदीग्राम में लोगों ने पूछा दीदी राम के खिलाफ क्यों

Bengal Chunav 2021, Varanasi Shalini Mishra Sent Ram Darbar To Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. टीएमसी और बीजेपी आमने सामने हैं. चुनाव प्रचार और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. पर जय श्री राम के नारे पर ममता बनर्जी को एतराज क्यों है इस बात पर आम जनता भी सवाल कर रही है. क्योंकि राम के नाम पर ममता का एतराज वाराणसी की शालिनी मिश्रा को अच्छा नहीं लगा इसलिए उन्होंने महिला दिवस के मौके पर ममता दीदी को एक खास गिफ्ट भेजा है. पर यह बनारसी तोहफा ममता दीदी की टेंशन को बढ़ा सकता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2021 3:28 PM
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. टीएमसी और बीजेपी आमने सामने हैं. चुनाव प्रचार और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. पर जय श्री राम के नारे पर ममता बनर्जी को एतराज क्यों है इस बात पर आम जनता भी सवाल कर रही है. क्योंकि राम के नाम पर ममता का एतराज वाराणसी की शालिनी मिश्रा को अच्छा नहीं लगा इसलिए उन्होंने महिला दिवस के मौके पर ममता दीदी को एक खास गिफ्ट भेजा है. पर यह बनारसी तोहफा ममता दीदी की टेंशन को बढ़ा सकता है.

दरअसल वाराणसी की रहने वाली शालिनी मिश्रा कलाकार है और इसी साल काशी विद्यापीठ से टॉप किया है. उन्होंने 51 हजार राम नाम के शब्दों से बना राम दरबार डाक के जरिये टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी के लिए भेजा है.बनारस में इस पर खूब चर्चा हो रही है. इस पेंटिग में 51 हजार राम नाम को सजाकर बनाया गया है.

सिर्फ शालिनी ही नंही नंदीग्राम के लोगों को भी यह सवाल पूछते हैं कि आखिर ममता दीदी को राम नाम से ऐतराज क्यों है. अंग्रेजी वेबसाइट न्यूज 18 में छपी खबर के अनुसार नंदीग्राम के लोग यह कहते हैं कि हां दीदी ने हमें अपनी जमीन वापस दिलायी हैं. पर वो दौर कुछ और था, अब दीदी बदल चुकी है. नंदीग्राम में वापस वो अपना भविष्य बचाने आयी है. पर हम यह नहीं समझते हैं की दीदी राम नाम के खिलाफ क्यों है.

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बता दें की नंदीग्राम में ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने के एलान के बाद बीजेपी ने शुभेंदु अधिकारी को इस सीट पर ममता के खिलाफ मैदान में उतारा है. इसके बाद से यह सीटा काफी हाई प्रोफाइल सीट बन गयी है. पूरे देश की निगाहें नंदीग्राम हो रहे चुनावी संग्राम की है.

यही वो जगह से जहां से आंदोलन की शुरूआत करके ममता बनर्जी ने बंगाल की सत्ता पायी थी. उस समय दीदी के साथ उनके सबसे विश्वसनीय साथी के तौर पर शुभेंदु अधिकारी थे. पर बदलती राजनीति ने इस बार ममता और शुभेंदु को आमने सामने कर दिया है. दोनों के लिए ही यह सीट प्रतिष्ठा का विषय है.

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Posted By: Pawan Singh

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