कोलकाता: कोरोना के पहले चरण में गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर रेमडेसिविर और टोसीलीजुमैब इंजेक्शन का असर दिख रहा था. इस इनजेक्शन के इस्तेमाल से लोग ठीक हो रहे थे. पर अब कोरोना से संक्रमित गंभीर रूप से बीमार लोगों पर इसका असर नहीं दिख रहा है. इसके बावजूद बाजार में इसकी मांग बढ़ी हुई है. इस बीच राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच ‘रेमडेसीविर और टोसीलीजुमैब’ की किल्लत देखी जा रही है.
दवा विक्रेताओं के विभिन्न संगठनों की मानें तो कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बेहिसाब वृद्धि ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है. कहने को तो तमाम निजी और सरकारी अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन पर्याप्त संख्या में होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमेडिसिविर इंजेक्शंस के लिए जान-बूझकर ऐसा माहौल बनाया है.
दवा व्यवसायियों का कहना है फिलहाल रेमडेसिविर इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है. अलग-अलग कंपनियों के 2500 रुपये एमआरपी से लेकर 5000 रुपये एमआरपी तक के इंजेक्शन उनके पास उपलब्ध हैं. किसी भी तरह से कोई कालाबाजारी नहीं की जा रही है. पर कुछ निजी अस्पताल जान बूझकर ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं. मरीजों को कहा जा रहा है कि उनके पास दवा उपलब्ध नहीं है. मरीज के परिजन अस्पातल की ओर से एक नंबर थमा दिया जा रहा है. मजबूरन परिजन इस नंबर पर फोन कर 15 से 25 हजार में दवा खरीद रहे हैं.
दूसरी बार कोराना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक मनोज जोशी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी डिविजन के डीआरएम व अन्य सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में अतिरिक्त महाप्रबंधक अनीत दुलत भी उपस्थित थे. बैठक में कोरोना से संबंधित सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श किया गया.
जोशी ने रेलवे कर्मचारियों व अधिकारियों को कोरोना से बचने की सलाह दी और वैक्सिन लेने को कहा. उन्होंने बताया कि हालात को देखते हुए सियालदह बीआर सिंह अस्पताल के कोविड वार्ड में 15 बेड बढ़ाये गये हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सिनेशन जारी है. बीआर सिंह अस्पताल में दाखिल कोविड संक्रमित मरीजों की निगरानी की जा रही है, साथ ही बेड बढ़ाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने रेलवे के डिवीजनल अस्पतालों में कोविड वार्ड बढ़ाने की सलाह दी.
कोरोना संक्रमण के मामले में बढ़ने के साथ ही रेमडेसिविर की मांग भी बढ़ी है. पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर की मांग में 50 गुणा ज्यादा बढ़ गयी थी. केंद्र ने दवा कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया है. जानकारी के अनुसार, भारत में सात कंपनियां रेमडेसिविर बना रही हैं. इन कंपनियों की क्षमता है कि यह हर माह 31.60 लाख वॉयल उत्पादन कर सकती हैं.
Posted By: Aditi Singh