बंगाल : माकपा ने भाजपा का साथ देनेवाले नेताओं पर की सख्ती,150 समर्थकों के खिलाफ हुई कार्रवाई

किसी को पार्टी से निकाला जा रहा है, तो किसी को चेतावनी देकर छोड़ दिया जा रहा है. कई को निलंबित भी किया गया है. माकपा नेताओं ने साफ कर दिया है कि नीति के सवाल पर कोई समझौता नहीं होगा.

By Shinki Singh | August 29, 2023 12:29 PM

पश्चिम बंगाल में वर्ष 2011 में 34 साल बाद सत्ता गंवाने के बाद से माकपा के सितारे गर्दिश में हैं. पार्टी को फिर से मजबूत बनाने को लेकर इस समय माकपा नेता कोई कसर नहीं रख रहे हैं. यूं तो माकपा समर्थक अब भी तृणमूल कांग्रेस को ही अपना ध्रुव विरोधी मानते हैं. तृणमूल को हराने के लिए वे भाजपा को वोट तक दे देते हैं. यह बात पार्टी की समीक्षा में भी आयी है. 34 साल तक सत्ता में रही माकपा की तुलना में बंगाल में भाजपा की ताकत बढ़ी है. वह इस समय राज्य में विपक्ष की भूमिका में है, जबकि माकपा नेता भाजपा को राजनीतिक दुश्मन के तौर पर देखते हैं. पार्टी के जो समर्थक चुनाव में भाजपा का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे समर्थकों पर अंकुश लगाने के लिए माकपा ने कार्रवाई शुरू की है.

पार्टी को फिर से मजबूत बनाने को लेकर माकपा ने शुरू की कयावद

जानकारी के मुताबिक अब तक 150 पार्टी समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. बाकी के बारे में जानकारी जुटाने का काम चल रहा है. हालांकि राज्य नेतृत्व ने कई बार इसे लेकर पार्टी के भीतर कड़ा संदेश भी दिया था. लेकिन जीतने वाले कई पंचायत सदस्यों ने जिले में पार्टी के ‘दिशानिर्देशों’ का उल्लंघन करते हुए भाजपा का समर्थन किया है. जांच कर जो जानकारी मिली है, उसके मद्देनजर पार्टी के सैकड़ों नेताओं के खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई शुरू की गयी है. किसी को पार्टी से निकाला जा रहा है, तो किसी को चेतावनी देकर छोड़ दिया जा रहा है. कई को निलंबित भी किया गया है. माकपा नेताओं ने साफ कर दिया है कि नीति के सवाल पर कोई समझौता नहीं होगा.

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हम संगठनात्मक तरीके से कदम उठा रहे हैं : सुजन चक्रवर्ती

पार्टी के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि हम संगठनात्मक तरीके से कदम उठा रहे हैं. हमारा मकसद भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को रोकना है. अभी तक पूर्व मेदिनीपुर से आठ लोगों को निष्कासित किया गया है. हुगली में पांच लोगों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. कई अन्य नेता और कार्यकर्ता पार्टी के निशाने पर हैं. राज्य के कई जिले में इस तरह की समस्या देखी जा रही है. जो पार्टी के सदस्य नहीं हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी कदम उठाये जा रहे हैं. इन जगहों पर पर्चे बांट कर लोगों को बताया जा रहा है कि संबंधित व्यक्ति से पार्टी का कोई संपर्क नहीं है.

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बोर्ड गठन के दिन सदस्यों काे पंचायत कार्यालय जाने का नहीं था आदेश

माकपा ने कई जिलों में बोर्ड गठन के दिन कई सदस्यों को पंचायत कार्यालय नहीं जाने का आदेश दिया था. पार्टी के हुगली जिले के सचिव देबब्रत घोष ने कहा कि जहां हम संख्या हासिल करने में सफल रहे हैं, हम केवल बोर्ड के गठन के दिन ही वहां गये. बाकी जगहों पर बाद में शपथ लेने का फैसला किया गया. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए हमने पार्टी में ये फैसले लिये. नदिया के जिला सचिव सुमित दे ने कहा कि जिले की 185 ग्राम पंचायतों में से 120 में हमारे प्रतिनिधि हैं.

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माकपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया

इन 120 में से 18 से 20 पंचायत क्षेत्रों में भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगा है. पूरा मामला पार्टी की नजर में है. जहां प्रत्यक्ष संलिप्तता के सबूत मिल रहे, वहां संबंधित सदस्य को निष्कासित कर दिया जा रहा है. किसी भी स्तर के नेता का यदि भाजपा के साथ संलिप्तता के सबूत मिलते हैं, तो उसे दंडित किया जायेगा. समीक्षा में यह भी पता चला कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वामपंथियों का वोट लगभग खत्म होकर भाजपा के खेमे में चला गया था. हालांकि बाद में माकपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया. मोहम्मद सलीम के नेतृत्व में माकपा ने अपना ध्यान फिर से पार्टी को संगठित करने की ओर लगाना शुरू कर दिया. पंचायत चुनाव के बाद की प्रक्रिया उसी का हिस्सा है.

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