शिक्षक भर्ती नियुक्ति को लेकर बंगाल में जगह-जगह अभ्यार्थियों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ झड़प, 40 गिरफ्तार
वर्ष 2016 के अभ्यार्थियों का कहना है कि अगर शिक्षा मंत्री हमें नौकरी नहीं दे सकते है तो हमें मौत दें. अभ्यार्थियों का कहना है कि 14 हजार 339 पद खाली पड़े है फिर नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है .
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती नियुक्ति को लेकर अभ्यार्थियों का प्रदर्शन जारी है. पहले अभ्यार्थियों ने साल्ट लेक में एसएससी कार्यालय आचार्य सदन के सामने विरोध प्रदर्शन किया. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में उच्च प्राथमिक नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों ने बिना अनुमति के कोलकाता के करुणामयी इलाके में आचार्य सदन के गेट के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद यह अभ्यार्थी प्रदर्शन करते हुए यतिन दास पार्क मेट्रो के पास आ गया. कई अभ्यार्थियों की तबीयत खराब हो गई है. पुलिस के साथ अभ्यार्थियों का झड़प जारी है. वर्ष 2014 में टेट की अधिसूचना के बाद ये अभ्यार्थी 2015 में परीक्षा में बैठे और 2016 में उन्हें इंटरव्यू के लिए रिक्रूटमेंट सर्कुलर भी मिला. लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हुई.
अभ्यार्थियों का कहना है कि नौकरी दे या मौत
वर्ष 2016 के अभ्यार्थियों का कहना है कि अगर शिक्षा मंत्री हमें नौकरी नहीं दे सकते है तो हमें मौत दें. अभ्यार्थियों का कहना है कि 14 हजार 339 पद खाली पड़े है फिर क्यों नहीं हो रही नियुक्ति. नौकरी का इंतजार करते करते 10 वर्ष से अधिक हो गया लेकिन मुख्यमंत्री तक हमारी गुहार नहीं पहुंची. सड़कों पर प्रदर्शन करके थक गये है. जब नौकर नहीं देनी थी तो परीक्षा लेने की जरुरत ही नहीं थी. हमारा प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा.
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उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कोई पैनल नहीं बनाया गया
अभ्यार्थियों का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कोई पैनल नहीं बनाया गया है. उनकी मांग है कि तुरंत पैनल प्रकाशित किया जाए और योग्य अभ्यार्थियों की नियुक्ति की जाए. अभ्यार्थियों का मातंगिनी हाजरा प्रतिमा के नीचे 244 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी हैं. नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों ने यह भी दावा किया कि यदि योग्य उम्मीदवारों को नियुक्त नहीं किया गया तो वे बड़े आंदोलन पर उतरेंगे.
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पुलिस के साथ झड़प व हंगामा
अभ्यार्थियों के साथ पुलिस की झड़प भी हुई है. आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस के कई लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं कई अभ्यार्थियों को घसीटते हुए प्रदर्शन करने से हटाया गया है. लगभग 40 से अधिक प्रदर्शनकारियों को आज गिरफ्तार किया गया है. वहीं कल 47 से अधिक एसएलएसटी अभ्यर्थी को गिरफ्तार किया गया था .
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एसएलएसटी के 47 अभ्यर्थी गिरफ्तार
बुधवार को एमएलए हॉस्टल के बाहर प्रदर्शन करते एसएलएसटी के 47 अभ्यर्थियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. लगातार नौकरी की मांग पर प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन करने के दौरान वहां तैनात पुलिस की टीम ने कई बार वहां से सभी को हटने का आग्रह किया. इसके बावजूद वे प्रदर्शन करने की जिद पर अड़े रहे. लगातार पुलिस के आवेदन के बावजूद प्रदर्शन जारी रखने के बाद पुलिस वैन लाकर सभी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान 26 पुरुष एवं 21 महिला प्रदर्शनकारी मिलाकर कुल 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
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कई लोगों की गर्दन पकड़ कर वैन में ले जाने का पुलिस पर आरोप
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि गिरफ्तारी के दौरान कई लोगों की गर्दन दबाकर पुलिस वैन में बैठाया गया. वहीं, पुलिस ने बताया कि सभी प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों को काम में बाधा दे रहे थे. लगातार आवेदन करने के बावजूद वे एमएलए हॉस्टल के बाहर से हट नहीं रहे थे. इस कारण सभी को गिरफ्तार करना पड़ा. बैंकशाल कोर्ट में पेश करने पर न्यायाधीश ने सभी को 500 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का निर्देश दिया.
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शिक्षक पात्रता परीक्षा में कैसे हुई धांधली
इडी की चार्जशीट में कहा गया है कि अपात्र उम्मीदवारों को नौकरी दी गयी. शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी), 2014 का आयोजन 11 अक्तूबर, 2015 को हुआ था. सफल अभ्यर्थियों की पहली मेरिट लिस्ट बदल कर दूसरी जारी की गयी और दूसरी मेरिट लिस्ट में अवैध रूप से और मनमाने ढंग से अपात्र उम्मीदवारों को भ्रष्ट तरीकों से नियुक्तियां दीं गयी. प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने के लिए अपात्र उम्मीदवारों की लिस्ट भी इडी के पास है. इडी के अनुसार, टीइटी, 2014 की प्राथमिक चयन प्रक्रिया में प्रश्न पत्र और इसकी मूल्यांकन प्रक्रिया को संदिग्ध रूप से किया गया था, क्योंकि पात्र उम्मीदवारों को लिस्ट से बाहर करने के लिए ओएमआर शीट मे बदलाव किया गया.
अपात्र उम्मीदवारों को मिलीं नियुक्तियां
कुछ असफल या टीइटी के अपात्र उम्मीदवारों को प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्तियां दे दी गयीं. यह आलम भी रहा कि कई ऐसे अपात्र उम्मीदवारों को नियुक्तियां मिलीं, जिन्होंने बहुविकल्पीय प्रश्नों का उत्तर नहीं ही दिया था और केवल अपने बारे में जानकारी लिखकर कॉपी को रिक्त छोड़ दिया था. एक अतिरिक्त पैनल संदिग्ध तरीके से बनाया गया था और कई व्यक्ति जिन्होंने टीइटी -2014 पास नहीं किया था, उन्हें इस पैनल में शामिल किया गया था. तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के जरिये शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए पांच सदस्यीय समिति बनायी थी, जिसे बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया था.
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