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दुर्गापूजा 2023 : कुम्हारटोली में सात समुंदर पार से आये ऑर्डर से मूर्तिकार के खिले चेहरे

मूर्तिकारों का मठ कहे जाने वाला कोलकाता का प्रसिद्ध कुम्हारटोली, जो करीब पांच एकड़ जमीन में फैला हुआ है. शोभा बाजार से महज पांच मिनट पैदल चलते ही कुम्हारटोली की संकरी गलियां शुरू हो जाती हैं.

By Shinki Singh | September 1, 2023 1:31 PM

कोलकाता, मनोरंजन सिंह : पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा विश्वप्रसिद्ध है. दुनिया के हर कोने से लोग यहां आते हैं. हर साल लोगों को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. बंगाल में इसकी तैयारी भी छह-सात माह पहले से ही शुरू हो जाती है. लेकिन विदेशों में भेजी जानेवाली मूर्तियों के काम में जनवरी से ही कारीगर लग जाते हैं. कुम्हारटोली के मूर्तिकारों ने बताया कि इस बार अमेरिका से सबसे ज्यादा मूर्ति के ऑर्डर मिले हैं. 40 दुर्गा प्रतिमा भेजी भी जा चुकी है.

पिछले वर्ष की तुलना में विदेशों में मूर्तियों की बढ़ी मांग 

कुम्हारटोली के मूर्तिकारों का कहना है कि विदेशों में मूर्तियों की मांग इस बार पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. विदेशों में मां दुर्गा की 125 प्रतिमाएं भेजी गयी हैं, जिसमें अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक मूर्तियां अमेरिका गयी है. इस साल अब तक अमेरिका में छोटी-बड़ी करीब 40 प्रतिमा भेजी जा चुकी है. जिसमें अधिकांश फाइबर के साथ मिट्टी से बनी मूर्तियां शामिल हैं. इस बार पिछले साल की तुलना में कुम्हारटोली में मूर्ति कारोबार में भी 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है. औसतन देश के बाहर हर साल दुर्गापूजा के दौरान कुम्हारटोली से मां दुर्गा समेत मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की सितंबर तक 140-150 के करीब मूर्तियां विदेश भेजी जाती है, जो इस साल अगस्त के प्रारंभ तक ही 125 मूर्तियां भेजी जा चुकी हैं और कई बाकी भी है, जो कतार में है. इससे उम्मीद जतायी जा रही है कि इस बार 20-25 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है.

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इन देशों में भेजी गयी मां दुर्गा की प्रतिमा

महानगर के बड़े निर्यातकों में से एक कुम्हारटोली के मूर्तिकार कौशिक घोष ने बताया कि उनका परिवार गत तीन दशकों से इस पेशे से जुड़ा है. यह उनकी तीसरी पीढ़ी है, जो इस पेशे में है. उनका कहना है कि उनके यहां से अब तक 37 मूर्तियां विदेश भेजी जा चुकी हैं. अभी और भी कई मूर्तियां भेजनी बाकी है, जिसमें एक ब्रिटेन और एक आस्ट्रेलिया का है. इस साल अब तक अमेरिका में आठ, जर्मनी में दो, इटली में दो, ब्रिटेन में तीन, जापान में एक, कनाडा में दो, स्वीडन में एक, दुबई में दो, सिंगापुर में एक, आस्ट्रेलिया में दो, आयरलैंड में दो समेत अन्य देशों के लिए भी मूर्तियां भेजी है. इसके अलावा देश में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में भी भेजी गयी है. सबसे अधिक वजन और कीमती मूर्ति दुबई, अमेरिका और ब्रिटेन में भेजी गयी है. सबसे अधिक ऊंचाई वाली मूर्ति 12 फुट की दुबई भेजी गयी है. इनकी कीमत एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक होती है. वहीं मूर्तिकार बबलू पाल ने कहा कि उनके यहां से एक मूर्ति जो ढ़ाई फीट की है, वह आज-कल में ही अमेरिका जायेगी, जो मिट्टी की बनी है.

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कारोबार में हुई 25 फीसदी की बढ़ोतर

कुम्हारटोली के मशहूर मूर्तिकार मिंटु पाल का कहना है कि कुम्हारटोली का कारोबार पिछले साल की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत बढ़ा है. एक-दो लाख से लेकर पांच लाख-दस लाख तक की मूर्तियों का ऑर्डर विदेशों से आया है. मेरे यहां से चार मूर्तियां अमेरिका गयी हैं. आमतौर पर मूर्तियों को मई के मध्य से अगस्त तक जहाज से भेजा जाता है. मूर्तियों के अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में लगभग 60-90 दिनों का समय लगता है. वहीं कुछ फ्लाइट से भी भेजी जाती है. इस बार कुम्हारटोली से न्यूयार्क, लंदन, फ्रांस, जर्मनी, सउदी अरब, कतर, यूके, सिंगापुर, बेल्जियम समेत कई देशों में भेजी गयी है, जिनमें सबसे अधिक अमेरिका में भेजी गयी है, अब तक 40 के करीब भेजी जा चुकी है.

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300 दुकानें, 600 मूर्तिकार और करीब 3000 कारीगर

मूर्तिकारों का मठ कहे जाने वाला कोलकाता का प्रसिद्ध कुम्हारटोली, जो करीब पांच एकड़ जमीन में फैला हुआ है. शोभा बाजार से महज पांच मिनट पैदल चलते ही कुम्हारटोली की संकरी गलियां शुरू हो जाती हैं. उन रास्तों में घुसते ही चारों ओर मां दुर्गा की मूर्तियां बनाते कलाकार दिखते हैं. इन्हीं कलाकारों की सुंदर कलाकृतियां विदेशों तक जाती है. कुम्हारटोली में छोटे-बड़े मूर्तिकारों की दुकानों की संख्या करीब 300 हैं. करीब 600 मूर्तिकार इससे जुड़े हैं. वहीं करीगरों की संख्या लगभग 3000 के करीब है.

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क्या कहते हैं कमेटी के अधिकारी

कुम्हारटोली मृतशिल्प सांस्कृतिक समिति के सचिव बाबू पाल ने बताया कि कोरोना के बाद इस साल कारोबार में इजाफा होने से यहां के मूर्तिकार के चेहरे खिले हुए हैं. विदेशों से भी इस बार ऑर्डर अधिक मिला है. पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अमेरिका में आठ से नौ मूर्ति अधिक गयी है. अभी ऑर्डर भी आ रहे हैं. विदेशों में भेजी जानेवाली मूर्तियों में सबसे अधिक वजन 50 से 55 किलो की मूर्ति का है. श्री पाल ने कहा कि महंगाई तो है, मूर्ति बनाने में लगनेवाली सामग्री की कीमत भी अधिक है. उनका खर्च भी बढ़ा है. मूर्तियों के दाम भी बढ़े हैं. लेकिन डिमांड में कोई कमी नहीं आयी है.

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कुम्हारटोली में लगभग 100 करोड़ रुपये का होता है कारोबार

मूर्तिकारों का कहना है कि यहां 12 महीने ही हर तरह की मूर्तियां तैयार की जाती है लेकिन खासकर दुर्गापूजा के अवसर पर मां दुर्गा से जुड़ी प्रतिमाओं की मांग अधिक रहती है. एक मशहूर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कुम्हारटोली में लगभग 100 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इस वर्ष कारोबार का आंकड़ा बढ़ा है. विदेशों में जो मूर्तियां भेजी जाती हैं, वह उनका आकार दो ढ़ाई फीट से लेकर 10-12 फीट के बीच होता है. इनकी कीमत 1-2 लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक होते है. आमतौर पर मूर्तियों को अप्रैल-मई के मध्य से अगस्त-सितंबर तक फ्लाइट व जहाजों से भेज दिये जाते हैं, हालांकि जहाज से मूर्तियों के अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में लगभग 60-90 दिनों का तक का समय लग जाता है, इसलिए काफी पहले भेज दिये जाते हैं.

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एक नजर में कुम्हारटोली

  • कुम्हारटोली का औसतन कारोबार 100 करोड़ रुपये

  • कुम्हारटोली में कुल 300 दुकानें हैं.

  • कुल मूर्तिकारों की संख्या करीब 600.

  • कुल कारीगरों की संख्या करीब 3000.

  • हर साल चार हजार से अधिक मूर्तियां यहां बनती है.

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