Bengal Chunav 2021: नंदीग्राम में कौन जीतेगा चुनाव ? इस सीट पर ममता के चुनाव लड़ने से असंतुष्ट दिखे सुवेंदु के पिता शिशिर अधिकारी
Bengal Chunav 2021, Nandigram Seat|Mamata Banerjee vs Suvendu Adhikari|BJP-TMC: बंगाल चुनाव के लिए टीएमसी ने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने अपनी पारंपरिक भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की अधिकारिक घोषणा कर दी है. वह 10 मार्च को हल्दिया से नामांकन दाखिल करेगी. पर इस बीच टीएमसी छोड़ बीजेपी में गये शुभेंदु अधिकारी के पिता और तृणमूल नेता शिशिर ममता के नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने पर असंतुष्ट दिखे और पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है.
बंगाल चुनाव के लिए टीएमसी ने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने अपनी पारंपरिक भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की अधिकारिक घोषणा कर दी है. वह 10 मार्च को हल्दिया से नामांकन दाखिल करेगी. पर इस बीच टीएमसी छोड़ बीजेपी में गये शुभेंदु अधिकारी के पिता और तृणमूल नेता शिशिर ममता के नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने पर असंतुष्ट दिखे और पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है.
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए शिशिर अधिकारी ने कहा कि सुवेंदू अधिकारी भी नंदीग्राम से चुनाव लड़ रहे हैं और ममता बनर्जी भी नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही है. पर यह ममता बनर्जी के लिए बेहतर नहीं होगा क्योंकि परिणा सुवेंदु के पक्ष में होंगे यह बात पूरे बंगाल की जनता जानती है.
बता दें कि सुवेंदु अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने के बाद शिशिर अधिकारी को लेकर भी चर्चा चल रही थी कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इन चर्चाओं के बीच टीएमसी ने उन्हें दरकिनार कर दिया था.
हालांकि नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसले को ममता का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. क्योंकि यह वही आंदोलन की जमीन है जहां से भूमि अधिग्रहण कानूनों का विरोध करते हुए ममता ने वामदलों की सरकार को सत्ता से बेदखल किया था.
वहीं नंदीग्राम को सुवेंदु अधिकारी का मजबूत गढ़ माना जाता है. इस सीट से ममता के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद ही माना जा रहा है कि यहां पर लड़ाई काफी चुनौतीपूर्ण होगी. सुवेंदु 2007 में पूर्वी मिदनापुर के नंदीग्राम में ममता बनर्जी के आंदोलन में उनका साथ देनेवाले सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति थे. जिसने उन्हें बंगाल में 34 साल के वाम मोर्चा शासन को हटाने में मदद की. वर्षों से, ममता ने उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को पार्टी के प्रति समर्पण के लिए उचित सम्मान दिया.
तब से, सुवेन्दु को पार्टी में एक शक्तिशाली नेता के रूप में जाना जाता है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि वह कुछ टीएमसी नेताओं के ‘रवैये’ से खुश नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने केवल ‘ममता के निर्देश’ पर पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की, हालांकि इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.
Posted By: Pawan Singh