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Exclusive : खेला होबे फेम देबांशु भट्टाचार्य बोले- बंगाल में बीजेपी की दाल नहीं गलेगी, ‘मां’ ममता की हैट्रिक तय

Debangshu bhattacharya Tmc Supporter Exclusive Interview| Khela Hobe Debangshu tmc slogan : खेला होबे... स्लोगन को लिखने वाले तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहा कि इस बार बीजेपी की दाल बंगाल में नहीं गलेगी. बीजेपी भले ही टीएमसी के नेताओं को तोड़कर ले जाए, मगर अंत में बंगाल की दुर्गा ममता बनर्जी ही सत्ता में आएगी.

By AvinishKumar Mishra | March 11, 2021 6:49 PM
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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2021 की रणभेरी बज गयी है. सभी दल-एक दूसरे पर बयानों और स्लोगन से हमला बोल रहे हैं. टीएमसी के नेता ने ‘खेला होबे’ कहा और डीजे पर ये जब ये बजा, तो दलों की सीमाएं टूट गयीं. सभी पार्टियों ने इसे अपने-अपने हिसाब से गाना शुरू कर दिया. खेला होबे के रचयिता तृणमूल प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहा कि बीजेपी की दाल बंगाल में नहीं गलेगी. भले टीएमसी के नेताओं को तोड़कर ले जाए, अंत में बंगाल की दुर्गा ममता ही सत्ता में आएंगी. पढ़िए, बातचीत का पूरा अंश.

खेला होबे का मतलब क्या है? ये स्लोगन आपने क्यों लिखा?

देबांशु- खेला होबे बंगाल में एंटी बीजेपी एंंथम बन गया है. बीजेपी 2019 मेंं जब लोकसभा जीती तो बोली ’19 में हाफ, 21 में साफ’. लेकिन हम लोगों ने कहा- नहीं, बंगाल की जनता इस बार खेला करेगी और बीजेपी की पिच पर उसके अंपायर के सामने उसे स्टेडियम से बाहर कर देगी.

बंगाल चुनाव में अंंपायर कौन है?

देबांशु- अंपायर कौन है, ये बंगाल ही नहीं पूरे देश की जनता जानती है. अंपायर के बारे में कुछ स्पेशल नहीं बताऊंगा. लेकिन इतना समझ लीजिए, अंपायर जितना सपोर्ट करेंगे उनका, वे उतने ही बुरे तरीके से हारेंगे.

राजनीति में एंट्री कैसे हुई आपकी और तृणमूल कांग्रेस को ही आपने क्यों चुना?

देबांशु- राजनीति में मेरी औपचारिक एंट्री दो साल पहले हुई. लेकिन, मैं जब आठ साल का था, तब से अखबार से ममता दीदी की तस्वीरों को काटकर सहेजता था. यहीं से उनके प्रति लगाव बढ़ता गया. फिर मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. मन नहीं लगा, तो यहां आ गया. 2019 में मैंने एक स्लोगन लिखा वो भी खूब वायरल हुआ.

क्या था वो स्लोगन?

देबांशु- हवाई चोटी (चप्पल) दिल्ली जावै. इस स्लोगन के बाद लोग मुझे जानने लगे. इसके बाद मैंने देखा कि दीदी के करीबी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, जिसके बाद मैंने अपनी मम्मी से दो साल का वक्त मांगा और यहां आ गया. मैं ममता दीदी के साथ मजबूती से खड़ा हूं.

लेकिन दीदी ने तो बाली सीट से आपको टिकट नहीं दिया?

देबांशु- ऐसा नहीं है. पार्टी में सिर्फ विधायक ही जरूरी नहीं होते. कार्यकर्ता भी हैं, जिनको पार्टी काम पर लगाती है. एक कमांडर ममता दीदी हैं, वो जहां भी हमें लगाना चाहेंं, हम काम के लिए तैयार हैं.

आपको विधानसभा का टिकट क्यों नहीं मिला?

देबांशु– टिकट मुझे मिलना ही नहीं था. टिकट पाने के लिए 25 साल न्यूनतम आयु होनी चाहिए. मेरी अभी नहींं हुई है.

तो फिर ये बात कहां से आई कि आप पार्टी छोड़ रहे हैं?

देबांशु- ये मुझे नहीं पता. विपक्षी लोग साजिश कर रहे होंगे. मैं 2 मई को ये डिसाइड करूंगा कि मुझे राजनीति में रहना है या नहीं. राजनीति में रहूंगा, तो तृणमूल में ही रहूंगा.

TMC में टिकट बंटवारे के बाद आपकी बातचीत अभिषेक बनर्जी से हुई?

देबांशु- नहीं. और मुझे टिकट चाहिए ही नहीं था. वैसे भी मैं ममता बनर्जी के लिए काम करता हूं. टिकट या सीट का कोई लोभ नहीं है. टिकट मिलेगा तो एक सीट पर सीमित रहता, अब 294 सीटों पर जाऊंगा.

प्रशांंत किशोर के बारे में बताइए, क्या टीएमसी में पीके का दबदबा है? कई लोग आरोप लगाते हैं कि पीके के कहने पर ही टिकट मिलता है.

देबांशु – बिल्कुल नहीं. टीएमसी में अभी भी पार्टी की मालकिन ममता बनर्जी ही हैं. ममता बनर्जी ही टिकट बंटवारे का फैसला लेती हैं. प्रशांत किशोर सर्वे करते हैं और रिपोर्ट पार्टी को देते हैं. बाकी सब ममता दीदी पर निर्भर है.

अधीर रंजन चौधरी के बारे में क्या कहते हैं?

देबांशु – अधीर रंजन चौधरी बीजेपी का हिडन एजेंट है. ये बात पूरे मुर्शिदाबाद को पता है. इस चुनाव में उन्हें जवाब मिल जाएगा. हमलोगों की लड़ाई इनसे है ही नहीं.

Posted By : Avinish Kumar Mishra

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