जनता दल से लेकर टीएमसी तक, जानें कितनी राजनीतिक पार्टियां बदल चुके हैं यशवंत सिन्हा
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के शोर के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा शनिवार को टीएमसी में शामिल हो गये. टीएमसी में शामिल होने के साथ ही यशवंत सिन्हा बीजेपी पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए ही आठ चरणों में चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं. साथ ही कहा कि राज्य में फिर से टीएमसी की सरकार बनेगी और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के शोर के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा शनिवार को टीएमसी में शामिल हो गये. टीएमसी में शामिल होने के साथ ही यशवंत सिन्हा बीजेपी पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए ही आठ चरणों में चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं. साथ ही कहा कि राज्य में फिर से टीएमसी की सरकार बनेगी और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा.
यशवंत सिन्हा ने अब तक राजनीति में एक लंबी पारी खेली है. हालांकि 2018 में उन्होंने बीजेपी छोड़ने के बाद सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की थी. पर इसके बाद भी मोदी के खिलाफ उनका गुस्सा कम नहीं हुआ और बीजेपी के खिलाफ छोटे दलों को मिलाकर यूनाइटेड डेमोक्रिट अलायंस बनाया. पर यह नहीं चली. इसके फिर बंगाल में बीजेपी के खिलाफ टीएमसी में शामिल हो गये.
संयुक्त बिहार में यशवंत सिन्हा की पहचान एक कद्दावर नेता के तौर पर होती थी. इसके बाद अलग झारखंड होने के बाद उनका कद और ऊंचा हुआ. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने बतौर प्रशासनिक अधिकारी 24 तक विभिन्न पदों में अपनी सेवाएं दीं. इसके बाद वर्ष 1984 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी में शामिल हो गये.
1986 में उन्हें पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव बनाया गया. सन 1988 में राज्यसभा सदस्य चुने गये. यह उनकी पहली पार्टी थी. वर्ष 1989 में जनता दल का गठन हुआ, इसमें वो पार्टी के महासचिव हुए. फिर जब समाजवादी जनता पार्टी के चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बनें तब यशवंत सिन्हा पहली बार वित्त मंत्री बनें.
इसके बाद 1996 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया. फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मार्च 1998 से मई 2002 तक वित्त मंत्री रहे और बाद में 2004 के अंत तक विदेश मंत्री रहे। यशवंत सिन्हा सन 2004 के लोकसभा चुनाव में अपने चुनाव क्षेत्र हजारीबाग से हार गए. इसके बाद 2009 में बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इस बीच पार्टी में बने रहे पर इसके बाद 21 अप्रैल 2018 ने बीजेपी छोड़ दी.
सबसे लंबे समय तक यशवंत सिन्हा बीजेपी में ही रहे हैं. इसके बाद फिर बंगाल चुनाव से पहले यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. एक और दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी ने कहा था कि इस बार के चुनाव में 80 वर्ष या उसके अधिक उम्र के लोगों को टिकट नहीं देंगे. जबकि यशवंत सिन्हा की उम्र 83 वर्ष है उन्हें पार्टी में
Posted By: Pawan Singh