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Bengal Election News: उत्तर बंगाल में जिनके साथ होंगे 4.5 लाख चाय श्रमिक, वही मारेगा बाजी

Bengal News In Hindi: मजदूर संगठनों ने मजदूरों के कल्याण के लिए बार-बार अपील की है. ज्वॉइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन प्लांटेशंस के समन्वयक जियाउल आलम ने कहा कि राज्य में न्यूनतम दैनिक मजदूरी को 2014 से ही अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. इस बाबत तृणमूल कांग्रेस की ओर से गठित सलाहकार समिति ने 2018 में ही रिपोर्ट सौंप दी थी, पर इसे रोक कर रखा गया है.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के चौथे व पांचवें चरण में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मतदाताओं का एक वर्ग वोट डालेगा. ये हैं करीब 4.5 लाख चाय बगान मजदूर. ये मजदूर बेहतर न्यूनतम दैनिक मजदूरी और अपने जमीन के अधिकार को लेकर उम्मीद पाले हुए हैं. उत्तर बंगाल के डुआर्स व तराई क्षेत्र के 12 विधानसभा क्षेत्रों में क्रमश10 व 17 अप्रैल को चुनाव होंगे.

यहां मजदूर संगठनों ने मजदूरों के कल्याण के लिए बार-बार अपील की है. ज्वॉइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन प्लांटेशंस के समन्वयक जियाउल आलम ने कहा कि राज्य में न्यूनतम दैनिक मजदूरी को 2014 से ही अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. इस बाबत तृणमूल कांग्रेस की ओर से गठित सलाहकार समिति ने 2018 में ही रिपोर्ट सौंप दी थी, पर इसे रोक कर रखा गया है. आलम ने आगे कहा, ‘‘वर्तमान सरकार ने 176 रुपये की न्यूनतम दैनिक मजदूरी को अंतरिम वृद्धि के साथ 202 रुपये कर दिया है.” उनकी मांग है कि हर चीज पर गौर करते हुए न्यूनतम दैनिक मजदूरी 442 रुपये तय की जाये.

आलम ने कहा कि दूसरा बड़ा मुद्दा मजदूरों को जमीन पर अधिकार देने से जुड़ा है, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं. बंगाल में किसी भी चाय बागान मजदूर के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है. इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. इंटक से संबद्ध तराई-डुआर्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष नाकुर सामंत ने कहा कि मुद्दे का जल्द समाधान कर लिया जायेगा. सामंत कहते हैं, ‘‘ममता बनर्जी सरकार ने चाय बागान मजदूरों के लिए ‘चा सुंदरी’ योजना के तहत तीन लाख घर बनाने का निर्णय किया है.

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पर कुछ अन्य बागान हैं, जो बंद हो गये या परित्यक्त हैं और मुकदमेबाजी में फंसे हैं.” भारतीय मजदूर संघ की नेता कुसुम लामा ने कहा कि चाय बागान मजदूर चिकित्सा सुविधाओं व स्वच्छ पेयजल के लाभ से वंचित हैं. वे चाहते हैं कि न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये की जाये. उनके मुताबिक राज्य में भाजपा सरकार बनती है, तो मजदूरों के हित में यही दर तय होगी. चाय बागान के शीर्ष संगठन इंडियन टी एसोसिएशन (आइटीए) का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से रोजाना मजदूरी में लगातार बढ़ोतरी हुई है और यह आगे भी बढ़ेगी.

आइटीए के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा, ‘‘न्यूनतम रोजाना मजदूरी बड़ा मुद्दा नहीं है. चुनावी मौसम में यह राजनीतिक खेल का हिस्सा है.” डुआर्स-तराई क्षेत्र में 300 से अधिक चाय बागान हैं, जिनमें कुमारग्राम, कालचीनी, मदारीहाट, अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी व डाबग्राम फुलवारी जैसे चाय उत्पादक क्षेत्र शामिल हैं.

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Posted By: Aditi Singh

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