Bengal Election Results 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का रिजल्ट निकल चुका है. रिजल्ट में टीएमसी को बहुमत मिल चुका है और बीजेपी ने पिछले चुनाव के प्रदर्शन को काफी बेहतर किया है. जबकि, लेफ्ट, कांग्रेस और आईएसएफ की हालत खराब हो चुकी है. इस बार का बंगाल चुनाव कई मायने में खास रहा है. बीजेपी के बड़े-बड़े सूरमाओं को धूल चटाकर ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. हालांकि, नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार चुकी हैं. वहीं, सालतोड़ा विधानसभा के लोगों ने भी एक मिसाल कायम की है. यहां से नौकरानी का काम करने वाली चंदना बाउरी को जीत मिली है.
सालतोड़ा विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चंदना बाउरी ने चुनाव लड़ा. दो मई को जब चुनावी नतीजे निकले तो चंदना बाउरी को जीत मिली. वो पश्चिम बंगाल चुनाव की सबसे गरीब उम्मीदवारों में से थी. उनके पति दिहाड़ी मजदूर हैं. वो तीन बच्चों की मां हैं. वो लोगों के घरों में काम करती रही हैं. चंदना को टिकट देने की अनुशंसा संघ ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से की थी. इसके बाद उन्हें उम्मीदवार बनाया गया था. अब चंदना सालतोड़ा से विधानसभा पहुंच चुकी हैं.
टीएमसी के बेहतरीन प्रदर्शन के बीच चंदना बाउरी जीत हासिल करने में सफल रहीं हैं. 30 साल की चंदना ने बांकुड़ा जिले की सालतोड़ा विधानसभा सीट पर टीएमसी उम्मीदवार संतोष कुमार मंडल को 4,145 वोटों से मात दी है. बीजेपी का टिकट मिलने के बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था उन्हें इसका जरा भी अंदाजा नहीं था. बीजेपी की लिस्ट में नाम आने के बाद स्थानीय नेतृत्व ने उन्हें उम्मीदवारी की सूचना दी. चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने सालतोड़ा क्षेत्र से चंदना के लिए प्रचार किया था. इसके बाद चंदना बाउरी ने कहा था ‘मिथुन चक्रवर्ती का उनके विधानसभा क्षेत्र से चुनाव प्रचार शुरू करना गर्व की बात है.’
Also Read: दीदी हैं बंगाल की ‘दादा’, बंगाल चुनाव 2021 के परिणाम के क्या हैं मायनेप्रचार के दौरान चंदना बाउरी ने खूब मेहनत किया था. वो अपनी दोनों बेटियों और एक बेटे को अपनी मां और सास के पास छोड़ देती थीं. इसके बाद चंदना बाउरी अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने निकल जाती थी. कभी-कभी उनके पति भी उनके साथ जाते थे. उनके पति एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में दिहाड़ी मजदूर हैं. आज जीत के बाद चंदना बाउरी को देश भर से तारीफें मिल रही हैं. उनकी जीत सही में लोकतंत्र के महापर्व की सार्थकता परिभाषित करता है.