Bengal Election Sixth Phase Violence: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के छठे चरण की वोटिंग गुरुवार को चार जिलों की 43 विधानसभा सीटों पर सुबह 7 बजे से जारी है. पश्चिम बंगाल चुनाव के पहले पांच चरणों में हिंसक घटनाओं के बाद आयोग ने छठे फेज के लिए 900 से ज्यादा सुरक्षा बलों की कंपनियों की तैनाती की है. छठे फेज में सुरक्षा के तमाम उपाय अपनाए गए हैं. इसके बावजूद चुनावी हिंसा से जुड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं. कई जगहों से बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प से जुड़ी खबरें लगातार आ रही हैं.
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छठे फेज में उत्तर 24 परगना जिले की 17 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है. इसी बीच हाबरा के कईपुकुर इलाके में एक लहूलुहान शव बरामद किया गया है. शव मिलने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है. बरामद शव पुरुष का है. एक जमींदार के गेट के सामने एक पुरुष का शव बरामद हुआ है. इसके पीछे कोई राजनीति कारण है या नहीं, पुलिस इसकी जांच कर रही है. पुरुष के शरीर पर कई जगह चोट के निशान हैं. घटना के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लिया. चुनाव आयोग ने भी शव बरामदगी पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है.
पूर्वी बर्दवान जिला के मंगलकोट विधानसभा क्षेत्र के गोसुबा स्थित बूथ नंबर 238/239 में भाजपा के झंडे जलाने की खबर मिलने पर जमकर हंगामा किया गया. देर रात से लेकर गुरुवार की सुबह तक बीजेपी कार्यकर्ताओं ने झंडा जलाने पर जोरदार हंगामा किया. बीजेपी वर्कर्स ने तृणमूल कांग्रेस पर झंडा जलाने का आरोप लगाया है. आरोप है कि बमबाजी भी की गयी है. इसके चलते इलाके में तनाव का माहौल है. इस संबंध में चुनाव आयोग से शिकायत की गई है.
उत्तर 24 परगना जिले के बीजपुर विधानसभा क्षेत्र इलाके में मतदान शुरू होने के बाद ही मारपीट की घटना सामने आई है. कांचरापाड़ा के 20 नंबर वार्ड के तृणमूल नेता उत्पल दास गुप्ता का सिर फट गया है. उन्हें अस्पताल ले जाया गया है. तृणमूल का आरोप है कि उन पर बीजेपी समर्थकों ने हमला किया है. वहीं, भाजपा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का नतीजा है. तृणमूल के आपसी गुटों के बीच लड़ाई हुई है. हालांकि, जिला तृणमूल नेता ने तृणमूल कांग्रेस के बीच आपसी विवाद को खारिज किया है.
दूसरी तरफ, उत्तर 24 परगना जिले के खड़दह के कल्याण नगर विद्यापीठ क्षेत्र के 76 नंबर बूथ में बीजेपी एजेंट की पिटाई की गई है. बीजेपी का आरोप है कि पुलिस खामोशी से तमाशा देख रही है. तृणमूल के लोग बीजेपी एजेंट्स की पिटाई कर रहे हैं. इसी तरह से रहरा रामाकृष्ण मिशन के पास भी तृणमूल समर्थक बीजेपी एजेंट्स को तंग कर रहे हैं. उन्हें बूथ में नहीं घुसने दिया जा रहा है. केंद्रीय बल इलाके में नहीं दिख रही है. क्यूआरटी कोई काम नही कर रही है.
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पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा नई नहीं है. गृह मंत्रालय के साल 2020 के आंकड़ों को देखें तो बंगाल में छह सौ से ज्यादा राजनीतिक हिंसा घटनाएं सामने आई थी. इसमें 57 लोगों की मौत हुई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राजनीतिक हिंसा की छह सौ से ज्यादा घटनाएं सामने आई थी. इसमें एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, साल 2018 के पंचायत चुनाव में राजनीतिक हिंसा में 23 लोगों की मौत हुई थी. इस बार भी बंगाल में राजनीतिक हिंसाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. राजनीतिक हिंसा के लिए बीजेपी के नेता टीएमसी पर आरोप लगाते हैं. जबकि, टीएमसी के नेता बीजेपी पर हिंसा करने और बाहरी गुंडों को बुलाकर राज्य में अशांति फैलाने का आरोप लगाती है. इन सबके बीच पश्चिम बंगाल में छठे चरण की वोटिंग भी जारी है.