पश्चिम बंगाल में एक पिता अपने दो दिन के नवजात बच्चे के लिए रक्त की तलाश में रातभर महानगर में भटकता रहा. 15 घंटे तक ब्लड बैंकों का चक्कर लगाने के बाद उसे रक्त मिला. जानकारी के अनुसार, पीलिया से पीड़ित बच्चे को ‘O ‘ निगेटिव रक्त की आवश्यकता थी, जो दुर्लभ ब्लड ग्रुप में आता है. बच्चे की चिकित्सा बीसी राय शिशु अस्पताल में चल रही है. डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे को खून चढ़ाना पड़ेगा. इसके बाद रक्त की खोज में पिता को रातभर महानगर के विभिन्न ब्लड बैंकों का चक्कर काटना पड़ा. अमीनुल इस्लाम ने बताया कि रक्त के बिना बेटे की जान को खतरा बताया गया था. चिकित्सकों ने रेड ब्लड सेल (आरबीसी) लाने को कहा था. मैं कई ब्लड बैंकों में गया, लेकिन सभी जगह निराशा हाथ लगी.
अमीनुल उत्तर 24 परगना के बारासात के देगंगा का रहने वाला है. उनकी पत्नी ने गत शनिवार को बारासात अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को पीलिया हो गया है. उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. रविवार रात नौ बजे बच्चे को बीसी राय शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने ओ निगेटिव ब्लड लाने को कहा. बच्चे के पिता रात 10 बजे से बीसी राय हॉस्पिटल के ब्लड बैंक, सेंट्रल ब्लड बैंक, आरजी कर, एनआरएस, पीजी, चितरंजन कैंसर अस्पताल, एमआर बांगुर अस्पताल समेत कई निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक गये. लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा. अंत में मीडिया में खबर सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की मदद से बच्चे को ब्लड मिला.
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ऐसे बच्चे को उच्च बुनियादी ढांचे वाले स्थानों में उपचार की आवश्यकता होती है. इसलिए बीसी रॉय अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे को जल्द से जल्द ‘ओ’ नेगेटिव ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाया जाए. बच्चे के पिता ने बताया अब बच्चे को ब्लड मिल जाने के बाद वह पहले से बेहतर है.
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पश्चिम बंगाल में लगभग 156 ब्लड बैंक है.राज्य में सरकारी, प्राइवेट और एनजीओ या फिर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ब्लड बैंक संचालित हैं. प्राइवेट ब्लड बैंक भी सरकारी ब्लड बैंक के बराबर ही रक्त संग्रह कर रहे हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो लोग रक्तदान करने से डरते हैं. उन्हें लगता है कि खून देंगे तो कमजोरी आ जाएगी. जबकि ऐसा नहीं है. यह साबित हो चुका है कि जो नियमित रक्तदान करते हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा कम रहता है. गौरतलब है कि 18 साल के बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीन महीने के अंतराल पर 60 साल की उम्र तक रक्तदान कर सकता है. ऐसे में लोगों को अधिक संख्या में रक्तदान कराने की आवश्यकता है ताकि महानगर में रक्त की समस्या का समाधान किया जा सकें.
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उत्तर प्रदेश- 436, तमिलनाडु- 333, कर्नाटक-272, तेलंगाना-253, आंध्रप्रदेश-217, राजस्थान-204, बिहार-110, पश्चिम बंगाल-156
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सांतरागाछी बस स्टैंड के विपरीत जेआइएस स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस, रिसर्च सेंटर और अस्पताल बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक समारोह के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया. जानकारी के अनुसार, सांतरागाछी में 30 एकड़ जमीन पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए डेढ़ हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा. यह अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. इस हॉस्पिटल में 1200 बेडों की सुविधा होगी, जबकि मेडिकल कॉलेज में 150 सीटें होंगी, जो वर्ष 2023-24 से प्रभावी होगा.
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यहां 20 मंजिली इमारत के छह टावर बनाये जायेंगे. साथ ही यहां हेलीपैड की भी सुविधा होगी. इससे यहां कहीं से भी मरीज को सीधे हेलीकॉप्टर की मदद से अस्पताल लाया जा सकेगा. साथ ही एबुंलेंस को भी रैम्प के सहारे 20वीं मंजिल तक ले जाया जा सकेगा. इस अवसर पर सरदार तरनजीत सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र से अब चिकित्सा के क्षेत्र में आकर बेहद खुशी हो रही है. हमारा लक्ष्य एक विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाना है. गौरतलब है कि इस योजना को लेकर जेआइएस ग्रुप व पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के बीच समझौता हुआ था. बीजीबीएस के दौरान जेआइएस ग्रुप के चेयरमैन सरदार तरणजीत सिंह व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नारायण स्वरूप निगम ने समझौते की प्रतियों का आदान-प्रदान किया था.
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