पश्चिम बंगाल में गंगासागर तीर्थयात्रियों (Gangasagar Pilgrims) के स्वास्थ्य और भोजन की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम निर्णय लिया है. इसके मुताबिक व्यापारी एफएसएसएआई से लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाण पत्र के बगैर गंगासागर मेले में खाने का स्टॉल नहीं लगा सकते हैं. खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने नियमित निरीक्षण शुरू कर दिया है. हालांकि मौके पर ही लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाण देने की व्यवस्था की जाएगी. सिर्फ यही नहीं, खाद्य पदार्थ बेचने वालों के नमूने एकत्र कर जांच की जाएगी. यदि रिपोर्ट खराब आई तो संबंधित व्यापारी को खाद्य सामग्री बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
डायमंड हार्बर स्वास्थ्य जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जयंत सुकुल के अनुसार, भोजन और पीने के पानी की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. लाखों तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त कदम उठाए जा रहे हैं. पता चला है कि दक्षिण 24 परगना और डायमंड हार्बर स्वास्थ्य जिलों के तहत खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को मेले दौरान तैनात किया जाएगा. वे मेले में के दौरान घूमते हुए इन खाद्य स्टालों पर नजर रखेंगे. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अगर खराब भोजन के चलते कोई समस्या बड़ा रूप धारण कर सकती है. इसीलिए सतर्कता बरती जा रही है.
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इस बीच, इस साल के गंगासागर मेले में तीर्थयात्रियों के लिए अस्पतालों में 500 बेड आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है . सागर, काकद्वीप और नामखाना के पांच अस्थायी अस्पतालों बोर्ट में 105 बेड होंगे. मिली जानकारी के अनुसार पैलान से लेकर काकद्वीप तक अस्पतालों में कुछ बिस्तर केवल इन तीर्थयात्रियों के लिए आरक्षित किये जायेंगे. पिछली बार यह संख्या 400 के आसपास थी. इसके अलावा मेले के लिए डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों सहित 745 लोगों को विभिन्न कार्यों पर लगाया जाएगा. मरीजों का दबाव अधिक होने पर सागर के दो प्राथमिक विद्यालयों में सैटेलाइट अस्पताल स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है.