West Bengal : कटवा में गोपाल मंडल उगा रहे अरब के उम्दा खजूर, लगा रखा है बाग
अच्छी गुणवत्ता वाले खजूर के बाजार में काफी दाम मिलते हैं. खजूर अपने पोषण मूल्य के कारण भी मांग में हैं. स्थानीय सूत्रों की मानें, तो कटवा शहर के वार्ड तीन की हजरापुर कॉलोनी के निवासी गोपाल मंडल ने वैकल्पिक खेती के लिए खजूर का बाग लगा रखा है.
बर्दवान,मुकेश तिवारी : सऊदी अरब का खजूर दुनिया में सबसे उम्दा माना जाता है. लेकिन उसी खजूर की खेती अब पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान के कटवा के एक किसान गोपाल मंडल कर रहे हैं. कटवा के बाहरी इलाके में गोपाल मंडल सऊदी अरब के खजूर के उच्च कोटि के बीज मंगा कर यहां खेती कर हैं. गोपाल ने करीब दो बीघा में खजूर के पेड़ लगा रखे हैं. कुछ पेड़ों में फूल निकलने लगे हैं, तो कुछ अन्य पेड़ों में फल भी लग रहे हैं. दावा है कि इस बाग में मेगजुल, अजवा खजूर उगेंगे. यह खजूर अब तक सऊदी अरब से आयात किया जाता था. अब उत्तम कोटि के खजूर कटवा में भी मिल सकेंगे. मिली जानकारी के अनुसार सऊदी अरब से बड़ी मात्रा में खजूर का भारत में आयात होता है. स्वाभाविक है कि उत्तम खजूर की कीमत भी अधिक होगी. कटवा के किसान गोपाल मंडल के खजूरों के बाग को लेकर खासी चर्चा है. यहां सऊदी अरब के खजूर के पेड़ों का बगीचा लगा रखा है.
गोपाल मंडल के इस प्रयास को देख कटवा अनुमंडल कृषि पदाधिकारी प्रलय घोष ने कहा, यह नेक पहल है, जिसमें किसान चाहें तो हमसे सलाह ले सकते है. बालू के टीलों वाले देश सऊदी अरब में विश्व के सबसे उम्दा खजूर के पेड़ मिलते हैं. फिलहाल हमारे देश के गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में सऊदी अरब के खजूर की खेती की जा रही है. ध्यातव्य है कि अन्य राज्यों में बहुत से लोगों ने गुजरात से बीज या पौधे लाकर लाभदायक खजूर की खेती शुरू की है. अच्छी गुणवत्ता वाले खजूर के बाजार में काफी दाम मिलते हैं. खजूर अपने पोषण मूल्य के कारण भी मांग में हैं. स्थानीय सूत्रों की मानें, तो कटवा शहर के वार्ड तीन की हजरापुर कॉलोनी के निवासी गोपाल मंडल ने वैकल्पिक खेती के लिए खजूर का बाग लगा रखा है.
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वह भारत संचार निगम लिमिटेड(बीएसएनएल) से वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं. उनका शुरू से खेती-बारी में रुझान रहा है. कटवा शहर के बाहरी इलाके में अजय नदी के बांध के नीचे उनकी साढ़े छह बीघा जमीन है. इस पर दो बीघा में वह खजूर उगा रहे हैं. गोपाल मंडल ने बताया कि डेढ़ साल पहले दुबई व बांग्लादेश से सऊदी अरब से ”अजवा” और ”मेगजुल” के बीज मंगाये गये थे. भूमि में जैविक खाद डाल कर खजूर की खेती के लिए मिट्टी को उपयुक्त बनाया गया. फिर उन्होंने 20 फीट की दूरी पर बीजों को बोया. कुछ पेड़ों में पहले से ही फल व फूल आ चुके हैं. लेकिन गोपाल को अब किसी नतीजे की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब की तरह स्वादिष्ट खजूर के पेड़ लगाने में कम से कम पांच से छह साल लगते हैं.
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बीज लाने और खजूर का बगीचा लगाने में अब तक डेढ़ लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. बकौल गोपाल, “मैंने यूट्यूब देखने के बाद सऊदी अरब की तरह यहां खजूर उगाने का फैसला किया. सऊदी अरब के खजूर की खेती अब बांग्लादेश में भी होने लगी है. इसलिए हमारे राज्य में उपजाऊ गाद मिश्रित मिट्टी में अरबी खजूर उगाना मुश्किल नहीं है. उनके खजूर के पेड़ अब फूल व फल देने लगे हैं. कहा कि खजूर दो तरह के होते हैं – नर व मादा. बढ़िया खजूर पाने के लिए मादा पौधों के फूल निकलने के साथ ही नर पौधों को अन्य जरूरी चीजों के साथ खाद देना आवश्यक है.
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गोपाल बताते हैं कि बाजार में अजवा खजूर 1100-1200 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है और ”मेगजुल” खजूर का मौजूदा बाजार भाव 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम है. बंगाल में पूजा के पहले, दावतों में खजूर की मांग रहती है. इसलिए गोपाल मंडल को अजयपाड़ा में अरबी खजूर उगा कर मोटी कमाई की उम्मीद है. गोपाल मंडल बताते हैं कि वह अन्य स्थानीय किसानों को भी इस वैकल्पिक खजूर की खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि उनके साथ इलाके के अन्य किसान भी खजूर की वैकल्पिक खेती कर सकें और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकें.
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