राज्यपाल की ओर से रात को लिखे गये पत्र को लेकर अटकलें तेज, आरोप -प्रत्यारोप का दौर जारी

माना जा रहा है कि नबान्न का पत्र राज्य के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखा गया है, लेकिन 'दिल्ली' से उनका क्या मतलब है? राज्यपाल की नियोक्ता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, लेकिन पत्र राष्ट्रपति भवन को भेजा गया कि केंद्र सरकार को, यह भी स्पष्ट नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2023 12:15 PM

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस ने आधी रात से कुछ देर पहले दो ‘गोपनीय’ पत्र लिखे. सीलबंद लिफाफे में एक पत्र राज्य सचिवालय में भेजा गया, दूसरे को दिल्ली यानी कि केंद्र सरकार के पास भेजा गया है. इस बारे में कई अटकलें लगायी जा रही हैं कि यह पत्र किसे संबोधित था, या किसके लिए लिखा गया है. राजभवन ने साफ कर दिया है कि पत्र का विषय ”गोपनीय” है. किसी भी गुप्त मामले की तरह, इस मामले में भी अटकलें लाजिमी हैं. राज्यपाल ने पहले ही जानकारी दे दी थी कि वह आधी रात को ”एक्शन” लेने वाले हैं. फलस्वरूप सभी को जिज्ञासा उत्पन्न हो रही है.

गवर्नर की चिट्ठी का निशाना : ब्रात्य का नाम सबसे ज्यादा आ रहा है

यह माहौल इंगित करता है कि राज्यपाल द्वारा वर्णित ””कार्रवाई”” ब्रात्य और शिक्षा विभाग के विरुद्ध हो सकती है. हालांकि, किसी तरफ से कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन गवर्नर की चिट्ठी का निशाना कौन है, इसकी अटकलों में ब्रात्य का नाम सबसे ज्यादा आ रहा है. ऐसे ही संकेत तृणमूल या भाजपा प्रवक्ताओं की बातों से मिलते हैं. इस मसले पर अनुमान लगाया जा रहा है कि पत्र में शिक्षा मंत्री के नाम का उल्लेख हो सकता है. आनंद और ब्रात्य, दोनों में लंबे समय से कुलपति की नियुक्ति को लेकर विवाद चल रहा है. ब्रात्य ने हल्के शब्दों का इस्तेमाल कर बोस पर हमला किया. शनिवार को गवर्नर द्वारा आधी रात को ‘कार्रवाई’ करने की चेतावनी के बाद ब्रात्य ने लिखा कि आधी रात तक देखें, कार्रवाई देखें. ध्यान से! देखें, शहर में एक नया पिशाच आ गया है, नागरिक कृपया सावधान रहें और इसी वजह से ब्रात्य के नाम की अटकलें तेज होती जा रही हैं. हालांकि ब्रात्य के ‘बम’ के बाद राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी दोपहर में राजभवन गये. राज्यपाल से उनकी क्या बातचीत हुई, इसका खुलासा किसी भी पक्ष ने नहीं किया है.

Also Read: राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बयान पर ब्रत्य बसु का कटाक्ष, कहा : सनग्लास को ध्यान से पहने वरना नीचे गिर जाएगा
राज्यपाल ने केन्द्र को लिखा पत्र

माना जा रहा है कि नबान्न का पत्र राज्य के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखा गया है, लेकिन ‘दिल्ली’ से उनका क्या मतलब है? राज्यपाल की नियोक्ता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, लेकिन पत्र राष्ट्रपति भवन को भेजा गया कि केंद्र सरकार को, यह भी स्पष्ट नहीं है. अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि क्या टकराव के माहौल में राज्यपाल बंगाल की जिम्मेदारी से मुक्ति चाह रहे हैं? कयास यह भी लगाया जा रहा है कि राज्यपाल ने पत्र लिखकर नियुक्त किये गये अंतरिम कुलपतियों के लिए सुरक्षा की मांग की होगी, क्योंकि, बोस द्वारा नियुक्त किये गये रवींद्र भारती और प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के कुलपति शुभ्रकमल मुखोपाध्याय ने पहले असुरक्षा की बात कही थी और घर से काम कर रहे थे.

Also Read: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का बड़ा बयान-इंडिया नाम तो अंग्रेजों ने दिया, भगवान श्रीकृष्ण ने दिया भारत
संविधान का हो रहा अपमान, गोपनीय पत्र में राज्यपाल की टिप्पणी

शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच विवाद इस स्तर पर पहुंच गया है कि अब मुख्यमंत्री को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा है. इस संबंध में केंद्र से दूरभाष पर भी चर्चा किये जाने की खबर है. राज्यपाल के इस तरह क्रोधित होते ही स्थिति पलटने की संभावना दिख रही है. नबान्न-राजभवन में टकराव जारी है. राज्यपाल की चिट्ठी का रहस्य अभी तक नहीं खुला है. इसे लेकर नेता व मंत्री भी खामोश हैं. जानकारी के अनुसार राज्यपाल ने केंद्र से राज्य व यहां के शिक्षा मंत्री के खिलाफ कड़ी शिकायत दर्ज करायी है गोपनीय पत्र में राज्यपाल ने कहा है कि संविधान का अपमान हो रहा है.

विधेयकों पर राज्यपाल नहीं कर रहें है  हस्ताक्षर

वहीं, तृणमूल के नेताओं का कहना है कि कई विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं होने से विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति से दूरी बढ़ गयी है. इस बीच, रविवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस की एक विस्फोटक टिप्पणी से राजनीतिक पारा चढ़ गया है. राज्यपाल ने कहा कि मंत्रियों को समझना चाहिए कि इस तरह का हमला भारत के संविधान का अपमान है. वे इसके लिए अपने कैबिनेट सहयोगियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जब वे संवैधानिक प्रमुख के बारे में असंसदीय टिप्पणी करते हैं, तो वे मंत्रिपरिषद में अपनी पार्टी के नेता को भी अनावश्यक बहस में घसीट रहे हैं. पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून विधेयक, पश्चिम बंगाल निजी स्कूल नियामक आयोग विधेयक, आलिया विश्वविद्यालय विधेयक, पशु और मत्स्य पालन विधेयक आदि अटके हुए हैं. इनमें धूपगुड़ी में जीते विधायक कब शपथ लेंगे, यह भी अधर में लटका हुआ है.

Also Read: व्यवसाय में बंगाल पूरी दुनिया के लिये बनेगा आकर्षण का केन्द्र : ममता बनर्जी

Next Article

Exit mobile version