कोलकाता: उत्तर 24 परगना जिले में नैहाटी के गरीफा का रहने वाला अर्नेस साव बड़ा होकर साइंटिस्ट बनना चाहता है, लेकिन अर्नेस एक ऐसी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है, जिसका इलाज यहां नहीं है, बल्कि अमेरिका में है और अर्नेस को अमेरिका से इलाज कराने के लिए प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. अर्नेस, मांसपेशियों की एक खास किस्म की दुर्लभ बीमारी डीएमडी (डचेन मस्कुलर डिस्ट्रोफी) से पीड़ित है.
चिकित्सकों के अनुसार, डीएमडी कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक बीमारी है. भारत के मेडिकल साइंस के लिए डीएमडी एक पहेली बनी हुई है, लेकिन अमेरिका में इस बीमारी का इलाज है. अर्नेस के लिए भी दवा अमेरिका से मंगानी पड़ेगी. इस बीमारी के इलाज पर सालाना दो करोड़ रुपये का खर्च हैं. इतनी बड़ी रकम का जुगाड़ करना अर्नेस के माता-पिता के लिए संभव नहीं है.
उसके अभिभावकों ने मदद के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से गुहार लगायी. इसे लेकर उन्होंने कलकत्ता हाइकोर्ट में भी याचिका दायर किया था, हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद अर्नेस के पिता ने दिल्ली हाइकोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश प्रतिभा एम सिंह ने केंद्र सरकार को 31 मार्च तक दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त रोगियों के इलाज के लिए नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज लागू करने का निर्देश दिया.
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इसके साथ ही उन्होंने एम्स के दो चिकित्सक प्रोफेसर (डॉ) मधुलिका काबरा और प्रोफेसर (डॉ) पी रमेश मेनन के नेतृत्व में कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया. उन्होंने केंद्र सरकार को दुर्लभ बीमारियों पर रिसर्च व डेवलपमेंट के लिए राष्ट्रीय अनुदान बढ़ाने व रेयर डीजीज फंड गठित करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.
डचेन मस्कुलर डिस्ट्रोफी (डीएमडी) एक अनुवांशिक बीमारी है. इस बीमारी के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. यह मांसपेशियों में होने वाली नौ प्रकार की बीमारियों में से एक है. इसे दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में रखा गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 10 लाख नये मामले सामने आते हैं. डीएमडी ‘डिस्ट्रोफिन’ नामक प्रोटीन की कमी से होता है. यह प्रोटीन मांसपेशियों की कोशिकाओं को बरकरार रखने में मदद करता है. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण तीन से पांच साल की उम्र में देखा जा सकता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे की 15 से 20 वर्ष के भीतर मौत हो सकती है.
Posted By- Aditi Singh