Bengal Health News: हावड़ा के नारायणा अस्पताल में दिखा अनोखा केस, जाने क्या थी बीमारी
Bengal News in Hindi: हावड़ा स्थित नारायणा अस्पताल में पहली बार मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी और ब्रेन स्टेंटिंग प्रोसिजर किया गया और पहली बार में ही सफलता भी प्राप्त हुई. मरीज की मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी की गयी है. मरीज के मस्तिष्क में स्टेंट लगाया है. सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
कोलकाता: हावड़ा स्थित नारायणा अस्पताल में पहली बार मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी और ब्रेन स्टेंटिंग प्रोसिजर कर 69 वर्षीय मरीज की जान बचायी गयी. हावड़ा के रहनेवाले सुरेश (बदला नाम) बोलने व देख नहीं पा रहे थे. मरीज डायबिटीज हाइपरटेंशन से भी जूझ रहा था. उन्हें 16 मार्च को भर्ती किया गया और उनके मस्तिष्क का एमआरआइ स्कैन किया गया.
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इस जांच में मरीज के मस्तिष्क में स्ट्रोक का पता चला, जो मस्तिष्क के पिछले भाग में था. इसके बाद मरीज का एमआर एन्जियोग्राम किया गया. इस टेस्ट में भी पता चला कि उनके मस्तिष्क के मुख्य हिस्से (ब्रेन स्टेम) में भी रक्त प्रवाह रुक गया है. गौरतलब है कि ब्रेन में रक्त प्रवाह रुक जाने से मरीज को हार्ट अटैक हो सकता है. उन्हें सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इस वजह मरीज कोमा में भी जा सकता है.
पर डॉ अरिंदम घोष (सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजिस्ट), डॉ रम्याजीत लाहिड़ी (सीनियर कंसल्टेंट एंड हेड इमरजेंसी मेडिसिन) और डॉ कौशिक सुंदर (न्यूरोलॉजिस्ट) की टीम ने सफल सर्जरी कर मरीज की जान को बचा लिया. मरीज की मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी की गयी है. मरीज के मस्तिष्क में स्टेंट लगाया है. सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.
स्ट्रोक होने पर न्यूरो सर्जन बंद हुई रक्त वाहिकाओं को खोलने के लिए, क्लॉट (खून का थक्का) खत्म करने वाली दवाईयां देते हैं. हालांकि अब नये विकल्प भी उपलब्ध है. अब चिकित्सक मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी (स्टेंट के माध्यम से ब्रेन में हुए बल्ड क्लॉट को हटाना) क्लॉट को हटाते हैं.
Posted By- Aditi Singh