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स्कूलों में कितने सुरक्षित हैं बच्चे, खुद को सुरक्षित रखने की छात्राओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दे रहे स्कूल

निजी स्कूल प्रबंधन का मानना है कि कैंपस में बच्चों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टीचर्स के लिए विशेष ओरिएंटेशन प्रोग्राम व वर्कशॉप प्रति सप्ताह आयोजित की जाती है.सुरक्षा के खास इंतजाम के साथ स्कूलों में अभिभावकों के साथ विशेष अवेयरनेस प्रोग्राम भी किये जा रहे हैं.

बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं. हर माता-पिता चाहता है कि उनका बच्चा एक सुरक्षित परिवेश में रहे और पढ़-लिखकर आगे बढ़े. लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में बच्चों की सुरक्षा बहुत ही अहम मसला है. हम विश्वास के साथ नहीं कह सकते हैं कि हमारे बच्चे आज सौ प्रतिशत सुरक्षित हैं? स्कूलों में बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की कुछ घटनाओं के बाद न केवल निजी स्कूल ज्यादा सतर्क हो गये हैं, बल्कि स्कूल प्रबंधन इसे बहुत बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में निर्वाह कर रहा है. सुरक्षा के खास इंतजाम के साथ स्कूलों में अभिभावकों के साथ विशेष अवेयरनेस प्रोग्राम भी किये जा रहे हैं.

बच्चों की काउंसिलिंग के लिए विशेष सत्र किये जा रहे हैं आयोजित

इतना ही नहीं, प्रत्येक क्लास में अलग-अलग एज ग्रुप में बच्चों की काउंसिलिंग के लिए विशेष सत्र आयोजित किये जा रहे हैं. निजी स्कूलों में वॉशरूम के बाहर महिला अटेंडेंट व स्टाफ को बच्चों की खास निगरानी के लिए रखा गया है. निजी स्कूल प्रबंधन का मानना है कि कैंपस में बच्चों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टीचर्स के लिए विशेष ओरिएंटेशन प्रोग्राम व वर्कशॉप प्रति सप्ताह आयोजित की जाती है. न केवल स्कूल परिसर के मुख्य स्थलों व क्लासरूम में, बल्कि स्कूल बसों में भी बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की गयी है. इन बसों के संचालकों व ड्राइवरों का भी पूरा विवरण स्कूलों को रखना पड़ता है. पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही स्कूल उन बस संचालकों की सेवाएं लेता है.

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विद्यार्थियों पर नजर रखने के लिए कैंपस में लगे हैं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

डीपीएस, रूबी पार्क की प्रिंसिपल जोयति चौधरी ने बताया कि गार्जियन अपने बच्चों को पूरे भरोसे के साथ स्कूल भेजते हैं. जब तक बच्चे स्कूल परिसर में हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है. स्कूल में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ अन्य स्टाफ की मदद से बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. प्रत्येक फ्लोर पर सीढ़ियों के पास, लैंडिंग और लॉबी में कैमरे लगे हैं. स्कूल की बसों में भी दो अटेंडेंट के साथ सीसीटीवी की व्यवस्था है. बसों में जीपीएस होता है, जो अभिभावकों को लोकेशन जानने में मदद करता है. जैसे ही छात्र बस में चढ़ते-उतरते हैं, माता-पिता को एसएमएस अलर्ट भेजा जाता है. मेरा मानना है कि बच्चों में भी खुद की सुरक्षा के प्रति सेंस डेवलप करने की जरूरत है. इसके लिए स्कूल में वर्कशॉप की जाती है, जहां बच्चे खुलकर बोल सकें. चीजों को गहराई से समझ सकें.

युवाओं के लिए घातक हो सकता है सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग

मौजूदा परिस्थिति में इंटरनेट के बिना जीवन में कुछ बड़ा करने की सोचना कल्पना जैसा लगता है. लड़के हों या लड़कियां, वर्तमान समय में इंटरनेट पर अत्यधिक निर्भरशील होते जा रहे हैं. युवा वर्ग को बेवजह इंटरनेट एवं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना, उनके लिए घातक बन सकता है. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दीपक कुमार के मुताबिक तकनीक की दुनिया में आजकल हर बात पर फोटो, वीडियो ऑडियो मेसेज को वायरल करना एवं इसके द्वारा प्रताड़ित होना आम बात हो गयी है. इससे कैसे बचा जाये, कैसे निर्भरता कम हो, आवश्यक काम के अलावा सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम से कम करें. अगर छात्र-छात्राएं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते भी हैं, तो कौन-कौन सी सावधानियां बरतें, इसे लेकर विभिन्न स्कूल-कॉलेजों में स्कूली छात्राओं को अनजाने में साइबर क्राइम का शिकार होने से बचने के लिए वे जागरूक करते रहते हैं. श्री कुमार ने स्कूली छात्र-छात्राओं को खुद को सुरक्षित एवं सेफ रखने के लिए सिक्योरिटी टिप्स देते हुए निम्न सलाह दिये:

1: अपने फेसबुक अकाउंट में सबसे पहले सिक्योरिटी सील एक्टिव करें, ताकि अन्य बाहरी कोई आपके अकाउंट में प्रवेश न कर सके.

2: आप जिन लोगों को निजी तौर पर जानते हैं, उन्हें ही फेसबुक या किसी अन्य सोशल साइट पर दोस्त बनायें या उनका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करें.

3: आप अपने सिंगल तस्वीर को सोशल साइटों पर अपलोड करने से बचें, अत्यंत आवश्यक हो तो ग्रुप फोटो के साथ अपना फोटो अपडेट करें

4: आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसे किसी दोस्त का फ्रेंड रिक्वेस्ट आ रहा हो, जो पहले से आपके फ्रेंड लिस्ट में है, तो उस रिक्वेस्ट को दोबारा एक्सेप्ट कतई न करें, वह साइबर शातिरों द्वारा भेजा गया फर्जी प्रोफाइल हो सकता है. अपने दोस्त से इस बारे में फोन पर या निजी तौर पर बात कर लें.

5: अपने व्हाट्सऐप अकाउंट में सेटिंग ऑप्सन में जाकर टू स्टेप वेरिफिेशन प्रोसेस को ऐक्टिव कर उसमें पासवर्ड डाल दें. जिससे व्हाट्सऐप अकाउंट के हैक होने की संभावना खत्म हो जायेगी.

6: अपने जीमेल का पासवर्ड मोबाइल फोन या मोबाइल के नोटपैड ऐप पर न लिखें. आइडी पासवर्ड हमेशा हर एक या दो महीने में बदलते रहें.

7: मोबाइल फोन और लैपटॉप में एंटीवायरस एक्टिव रखें, जो समय-समय पर ऑटोमेटिक वायरस को नष्ट करता रहता है.

8: अगर आप मोबाइल के अलावा लैपटॉप या डेक्सटॉप से सोशल साइट पर अपना अकाउंट खोलते हैं तो काम खत्म होने के बाद तुरंत लाॅग आउट कर दें.

9: अपने आधार कार्ड का जेरॉक्स कॉपी सोच समझकर कर किसी को दें अन्यथा साइबर अपराधियों द्वारा आपके नाम पर लोन और सिम लेने का खतरा बना रहेगा.

10. मोबाइल में आये किसी भी अनजान लिंक, जिसमें कोई निजी जानकारी मांगी जा रही हो, उसे कभी भी क्लिक न करें.

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अपने बच्चों से खुलकर बात करते रहें अभिभावक

देश भर में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. उनके यौन उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने ही नहीं आ पाती हैं. न केवल स्कूलों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी टीनएजर्स सुरक्षित नहीं है, इसलिए निजी स्कूल पैरेंट्स की काउंसेलिंग करने के साथ साइबर सुरक्षा पर भी वर्कशॉप करवा रहे हैं. स्कूल प्रशासन व मनोचिकित्सकों का सुझाव है कि माता-पिता लगातार अपने बच्चों से बात करते रहें. अगर बच्चा ऐसी किसी चीज या व्यक्ति के बारे में शिकायत करता है, जिससे वह असहज महसूस करता है, तो हमेशा उसकी बात पूरी तरह से सुनने के लिए पैरेंट्स तैयार रहें और बच्चे को दूर करने के बजाय उसकी चिंता को समझने की कोशिश करें. उनकी गतिविधियों के बारे में नियमित रूप से डायलॉग करें, ताकि उसका विश्वास बना रहे और वह बेझिझक अपनी परेशानी बता सके.

चार साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न के दोषी दो शिक्षकों को हुई थी उम्रकैद

2017 में कोलकाता के एक नामी स्कूल में चार साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न की घटना सामने आने के बाद अभिभावक काफी दहशत में आ गये थे. मामले में दो शिक्षकों का नाम सामने आया था. इस घटना के बाद अभिभावकों ने स्कूल में तालाबंदी कर दी थी. गार्जियन फोरम ने लगातार इसके प्रतिवाद में पूरे महानगर में आंदोलन चलाया था. इस घटना के कारण कई स्कूलों में सतर्कता बढ़ायी गयी थी. सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा के लिए खास टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाये गये थे. इस मामले में 30 मार्च, 2023 को इन दोनों शिक्षकों को कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया. फिजिकल एजुकेशन के टीचर अभिषेक राय और मोहम्मद मफीसुद्दीन को आइपीसी की धारा 376डी और पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत दोषी ठहराया गया.

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कई दिनों तक अभिभावकों ने किया था आंदोलन

शिक्षकों को सामूहिक बलात्कार और गंभीर (पैनेट्रेटिव) यौन उत्पीड़न कादोषी पाये जाने पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में आइपीसी की धारा 376 डी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह के तहत सजा सुनायी गयी. दोनों धाराओं के तहत अधिकतम सजा आजीवन कारावास है. इस फैसले के बाद शिक्षा क्षेत्र भी काफी हलचल मच गयी. जब यह घटना हुई, उस समय बच्ची नर्सरी में थी. 30 नवंबर, 2017 को बच्ची के माता-पिता द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत के अनुसार, उनकी बेटी को दो लोगों ने चॉकलेट का लालच देकर वॉशरूम में बुलाया था और बाद में उसका यौन उत्पीड़न किया गया. अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया था कि स्कूल में कोई भी सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था. अभिभावकों के लगातार प्रदर्शन के बाद निजी स्कूलों में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये और सभी जगह निगरानी बढ़ायी गयी थी.

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