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WB News : शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ के नाम पर नये फलक की स्थापना के बाद लोगों ने कहा देर आये दुरुस्त आये

आचार्य के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन कुलपति के तौर पर विद्युत चक्रवर्ती का नाम ही केवल मौजूद था. लेकिन उक्त फलक में शांति निकेतन की स्थापना करने वाले गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम ही नदारद था.

बोलपुर, मुकेश तिवारी : आखिरकार विश्व भारती (Viswa Bharti) अधिकारियों ने विवादास्पद पट्टिका (फलक) को ध्वस्त कर बुधवार देर शाम रवींद्रनाथ के नाम समेत तीन भाषाओं में लिखा नया फलक स्थापित किये जाने के बाद समूचे विश्व भारती और शांति निकेतन समेत बोलपुर के लोगों में गुरुवार सुबह से ही खुशी देखी गयी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार नया बोर्ड (फलक) लगाया गया है. गत 17 सितंबर को विश्व भारती अधिकारियों ने यूनेस्को की विश्व धरोहर मान्यता प्राप्त करने के बाद शांतिनिकेतन, रवींद्र भवन और गौरप्रांगण के पारंपरिक स्थानों में सफेद पत्थर की तीन पट्टिकाएं स्थापित कीं थीं.

इसमें आचार्य के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन कुलपति के तौर पर विद्युत चक्रवर्ती का नाम ही केवल मौजूद था. लेकिन उक्त फलक में शांति निकेतन की स्थापना करने वाले गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम ही नदारद था. जिसे लेकर सर्वत्र निंदा की लहर दौड़ गयी थी. मुख्यमंत्री के निर्देश पर तृणमूल नेताओं-मंत्रियों-विधायकों-सांसदों ने भी 14 दिनों तक लगातार विरोध प्रदर्शन किया था. शांति निकेतन ट्रस्ट, पूर्व एवं वरिष्ठ आश्रम निवासियों ने भी प्रतिवाद किया था. गत आठ नवंबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ब्लैकआउट के दबाव में काफी खींचतान के बाद विवादास्पद पट्टिका को हटाने का आदेश दिया था.

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आखिरकार, बुधवार देर शाम को विश्व भारती ने उन पट्टिकाओं (फलक) को हटा दिया. शांतिनिकेतन के धरोहर स्थल पर लगी तीनों पट्टिकाएं गुरुवार को ही तोड़ दी गईं. उनके स्थान पर नयी पट्टिका (फलक) लगायी गयी है. इस कदम का विश्व भारती के छात्रों, प्रोफेसरों और पूर्व और वरिष्ठ आश्रम निवासियों ने स्वागत किया है. नयी पट्टिका पर आचार्य, प्रधानमंत्री या कुलपति का नाम नहीं है. पट्टिका के मध्य में अशोक स्तंभ है. दोनों तरफ यूनेस्को और विश्व भारती का लोगो है. रवींद्र प्रेमियों का एक बड़ा वर्ग इस पट्टिका को लगाये जाने पर खुशी जाहिर की है. राज्य के मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने कहा, ‘पूर्व कुलपति द्वारा जबरन बिना किसी दिशा-निर्देश के शिलापट्ट (फलक) लगवाया गया था.

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर 14 दिनों के आंदोलन का नतीजा हम लोगों को आज देखने को मिला. रवींद्रनाथ को ही बंगालियों के हृदय से मिटाने की साजिश की गयी थी. विश्व भारती अधिकारियों ने अंततः पट्टिका को ध्वस्त करके अपनी गलती स्वीकार कर ली है.’ हैंडीक्राफ्ट मार्केट के अमीनुल हुदा ने कहा, ‘गुरुदेव की जगह पर गुरुदेव का नाम नहीं होगा. सिर्फ विद्युत चक्रवर्ती का नाम रहेगा. हर कोई यह जानकर खुश है कि देर होने के बावजूद विश्वविद्यालय के अधिकारियों को यह बात समझ में आ गयी है.’आश्रम के वयोवृद्ध सुबीर बनर्जी ने कहा ‘रवींद्रनाथ के अपमान के विरोध में लगी पट्टिका के बारे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को जानकारी दी गयी थी.

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हर कोई यह जानकर खुश है कि इसे तोड़ दिया गया है और इसकी जगह नई पट्टिकाएं लगा दी गई हैं.’ विश्व भारती विश्वविद्यालय के कार्यकर्ताओं और प्रोफेसरों के एक वर्ग के अनुसार, ‘अपने स्वार्थी कारणों से, पूर्व कुलपति ने प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए व अपना कार्यकाल बढ़ाने की कोशिश की थी. उन्होंने अपनी इच्छानुसार पट्टिकाएं लगाकर विवाद फैलाया था.’ हालांकि, विश्व भारती के कार्यवाहक सचिव अशोक महतो ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के अनुसार शांतिनिकेतन के विरासत स्थल पर नयी पट्टिका को बदल दिया गया है. गुरुवार सुबह से ही छात्र छात्राओं में नयी पट्टिका को देख खुशी देखी गयी.

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