Bengal Kisan Andolan: किसान आंदोलन के आसरे राजनीति में वजूद खोजने की कोशिश में जुटे किसान नेता राकेश टिकैत की नाव नंदीग्राम में डूब गई है. बंगाल के कोलकाता और नंदीग्राम में किसान महापंचायत के नाम पर राकेश टिकैत ने वो सब कर दिया, जो राजनीति से अलग होने के उनके दावे के उलट, पूरी तरह राजनीति से मोटिवेटेड स्टेप है. दरअसल, बंगाल चुनाव में अचानक राकेश टिकैत की सक्रियता बढ़ती चली गई. शनिवार को राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता और नंदीग्राम में किसान महापंचायत में भाषण दिया. इस दौरान राकेश टिकैत ने बीजेपी को समर्थन नहीं देने की अपील भी कर डाली. यही उन पर भारी पड़ने लगा है. लेफ्ट पार्टियों ने किसान आंदोलन से समर्थन वापस लिया है.
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आपको नंदीग्राम में राकेश टिकैत की मौजूदगी से पहले नवंबर 2020 में चलना होगा. तीन कृषि बिलों के विरोध में टिकैत की अगुवाई में किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल दिया. आज भी किसान बॉर्डर पर डटे हैं. इसी बीच 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाला और लाल किला पर उत्पात मचाया. घटना के बाद कई संगठनों ने राकेश टिकैत के भारतीय किसान यूनियन का साथ छोड़ दिया. दिन गुजरने लगे और राकेश टिकैत के सहयोगियों की संख्या घटने लगी. इसी बीच बंगाल विधानसभा चुनाव का एलान हो गया और राकेश टिकैत एक्टिव मोड में आ गए. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता टिकैत बीजेपी का विरोध करते हुए विरोधी पार्टियों की गुटबाजी का शिकार होते चले गए.
राकेश टिकैत शनिवार को बंगाल के दौरे पर थे. टिकैत ने नंदीग्राम में किसान महापंचायत का एलान किया. बाकायदा किसानों और समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए बीजेपी सरकार को समर्थन नहीं देने की अपील कर डाली. राकेश टिकैत ने कहा कि ‘बीजेपी सरकार की हार तय है. पश्चिम बंगाल से उनके हार का रास्ता खुलने वाला है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी क्रांतिकारी महिला हैं.’ किसान नेता राकेश टिकैत ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तारीफ करके कहीं ना कहीं अपने साथ वालों को परेशान कर दिया. सूत्रों की मानें तो वाम दलों ने किसान आंदोलन को समर्थन देने के फैसले को वापल ले लिया है. क्योंकि, बंगाल में लेफ्ट, कांग्रेस, आईएसएफ गठबंधन में हैं.
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नंदीग्राम में पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने जिक्र किया कि ‘जिस दिन संयुक्त मोर्चा चाह लेगी, किसान संसद में नई मंडी खोल देंगे. एक बार फिर ट्रैक्टर दिल्ली में दाखिल होगा. हमारे पास 3.5 लाख ट्रैक्टर्स और 25 लाख किसान हैं. हमारा नया टारगेट संसद में फसल बेचना है.’ टिकैत के एलान से कहीं ना कहीं केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. 26 जनवरी को लाल किला पर उत्पात के जख्म भरे भी नहीं, टिकैत ने नया एलान कर डाला. बंगाल चुनाव में ‘खेला होबे’ वाला राग छेड़ना भी राकेश टिकैत को महंगा पड़ गया है. वाम दलों ने किसान आंदोलन का साथ छोड़ने की बात कही है. वहीं, ममता को साथ देने के एलान पर भी राकेश टिकैत अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं.