WB Coal Mine : केवल 120 रुपये की कमाई के लिए गयी कइयों की जान…
रानीगंज के विभिन्न इलाकों से यहां तक कि बिहार और झारखंड से भी युवक यहां कोयला काटने आते हैं. रोजाना कोयला निकालने के पश्चात 500 से 700 रुपये की आमदनी होती है. दिन रात यहां पर अवैध रूप से कोयला काटने का कार्य किये जाने का आरोप है.
पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक बोरी कोयला बेचने से 120 रुपये की कमाई से घर परिवार का भरण पोषण होता है. इसी 120 रुपये की कमाई के लिए सात युवकों की जान चली गयी. इसीएल के कुनुस्तोड़िया एरिया के नारायण कुड़ी ओसीपी में रोजाना की तरह सैकड़ों की संख्या में कोयला चोरी करने गये महिला -पुरुषो में अब तक सात लोगों की मारे जाने की खबर सामने आई है. अभी भी ना जाने और कितने और लोग भीतर में फंसे हैं. इस अनिश्चितता में लोग झूल रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इसीएल के परित्यक्त खदानों में कोयला चोरी करने की घटना कोई नयी नहीं है. इसके पहले भी कई बार ऐसी घटना घट चुकी है. आरोप है कि कोयला माफिया तथा प्रशासन मिलकर ऐसे मामलों को रफा-दफा करते आये हैं. लेकिन इस बार विपक्षी विधायक अग्निमित्रा पाल के विधानसभा इलाका में यह घटना घटी है. उन्होंने इस घटना में इसीएल प्रबंधन से लेकर पुलिस प्रशासन और सीआइएसएफ तक को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
परित्यक्त खदान में किसी तरह जान बचाकर निकले एक युवक ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि वे रोज की तरह कोयला काटने के लिए गैंती, कुदाल लेकर इसीएल के बंद खदान में घुसकर कोयला काट रहे थे, तभी अचानक एक तरफ चाल धंसने से लोगों के चिल्ला कर भागने की आवाज आई. लोग भाग कर निकाल पाते उसके पहले ही खान के भीतर से निकलने का द्वार चट्टान से बंद हो गया. कोयला काटने वाले भीतर फंस गये. हालांकि यहां कार्य करने वाले दूसरे लोगों ने खूब प्रयास किया पर उनमें से कुछ भीतर ही रह गये. हालांकि इस घटना में भीतर काम कर रहे लगभग 150 से 200 लोग निकलकर भागने में सफल हो गये.
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स्थानीय लोगों के अलावा बिहार -झारखंड से भी आते हैं लोग
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिर्फ नारायणकुड़ी के आसपास ही नहीं, रानीगंज के विभिन्न इलाकों से यहां तक कि बिहार और झारखंड से भी युवक यहां कोयला काटने आते हैं. रोजाना कोयला निकालने के पश्चात 500 से 700 रुपये की आमदनी होती है. दिन रात यहां पर अवैध रूप से कोयला काटने का कार्य किये जाने का आरोप है.
जल्दी ही खुलने वाला था डीपो
अवैध कोयले का डीपो जल्दी ही यहां खुलने वाला था, जिससे इन अवैध कोयले को खरीद कर यहां से दूसरे जगह भेजा जाता. लेकिन उससे पहले ही यह हादसा हो गया. इस धंधे में लिप्त कुछ युवकों में इस बात की चर्चा है उन्हें युवकों की मौत से नहीं, बल्कि इस बात की चिंता खाये जा रही है कि हादसे में मारे जाने वाले लोगों के घरों का चूल्हा कैसे जलेगा क्योंकि अब कमाई का कोई साधन नहीं है. फिलहाल प्रशासन के दबाव के कारण कोयला चोरी बंद हो जायेगी. लेकिन उनका कारोबार बंद हो जाने से उनके घरों का गुजारा कैसे होगा.
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चोरी का कोयला जला कर होता है कारोबार
नारायणकुड़ी ओसीपी सलंग्न इलाके के कुछ युवक चोरी किये कच्चे कोयले को रात में जलाते हैं एवं जलाने के बाद उन्हें बुझाया जाता है. बुझने के बाद उन कोयलों को बोरी में भर कर रानीगंज के आसपास में जलावन के लिए बेचा जाता है. इसे यहां के भाषा में ‘पोड़ा कोयला’ कहते हैं. हादसे के बाद पूरे ग्राम में हलचल मची हुई थी वहीं दूसरी ओर इन सब से बेखबर कई इलाकों में कोयला जलाने का कार्य बदस्तूर जारी था.
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डीजीएमएस के अधिकारी ने इसीएल की बतायी लापरवाही
नारायणकुड़ी की खान दुर्घटना की खबर मिलने के बाद गुरुवार को डीजीएमएस के अधिकारी इरफान अहमद अनवर ने घटनास्थल का दौरा किया. उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नियम के मुताबिक ओसीपी से कोयला निकालने के पश्चात उस जगह को भराई कर दी जानी चाहिए. लेकिन यहां इसकी अवहेलना की गई. यहां ना तो ओसीपी के चारों ओर फेंसिंग की गई और ना ही सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है. उन्होंने उच्चाधिकारी को रिपोर्ट करने की बात कही है.