शिक्षक भर्ती मामले में गिरफ्तार ‘बिचौलिए’ को मिली जमानत,सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई को सवालों का करना पड़ा सामना

प्रसन्ना राॅय के वकील अनिर्वाण ने बताया कि गिरफ्तारी 2022 में की गई थी. आरोप पत्र भी जारी किया गया. लेकिन इसके बावजूद उस आरोप पत्र को कोई महत्व नहीं दिया गया. कोई मुकदमा शुरू नहीं किया जा सका.

By Shinki Singh | November 10, 2023 2:38 PM
an image

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार बिचौलिए को जमानत मिल गई है. ‘बिचौलिए’ प्रसन्नकुमार रॉय (Prasanna Kumar Roy) है. सीबीआई जांच में यह बात सामने आई कि एसएससी भर्ती में हुए भ्रष्टाचार में अयोग्य लोगों को नौकरी दिलाने में प्रसन्ना की भी भूमिका थी. भर्ती मामले में दो लोगों को जमानत मिल गयी. इससे पहले, माणिक भट्टाचार्य की पत्नी शतरूपा भट्टाचार्य को प्राथमिक भर्ती मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी. हालांकि, एसएससी भर्ती मामले में जमानत पाने वाली वह पहली व्यक्ति थीं.


प्रसन्ना एसएससी भर्ती सलाहकार समिति के प्रमुख शांतिप्रसाद सिंह के करीबी थे

प्रसन्ना एसएससी भर्ती सलाहकार समिति के प्रमुख शांतिप्रसाद सिंह के करीबी थे. यह भी कहा गया था कि भर्ती भ्रष्टाचार की जांच के दौरान वह राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के संपर्क में थे. भर्ती भ्रष्टाचार से जुड़े दो मामलों की जांच के दौरान सीबीआई को उनका नाम मिला. ग्रुप डी भर्ती मामले और नौवीं व दसवीं शिक्षक भर्ती मामले में आरोपी प्रसन्ना को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. हालांकि गिरफ्तार होने के बावजूद, प्रसन्ना के खिलाफ मुकदमा आज तक शुरू नहीं हुआ है. आरोप पत्र जारी होने के बाद एक निश्चित अवधि बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर प्रसन्ना ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. जमानत अर्जी दाखिल की. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और वकील अनिर्बान गुहा ठाकुरता ने केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया.

Also Read: WB News : तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी बोले, महुआ मोइत्रा अकेले लड़ सकती है अपनी लड़ाई
प्रसन्ना की गिरफ्तारी 2022 में हुई थी

प्रसन्ना राॅय के वकील अनिर्वाण ने बताया कि गिरफ्तारी 2022 में की गई थी. आरोप पत्र भी जारी किया गया. लेकिन इसके बावजूद उस आरोप पत्र को कोई महत्व नहीं दिया गया. कोई मुकदमा शुरू नहीं किया जा सका. नतीजा यह है कि इन आरोपियों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि आरोपपत्र में उनके खिलाफ क्या आरोप हैं. वह अन्याय है. हमने मामले की जानकारी जज को दी. सुनवाई के दौरान जज ने सीबीआई से कहा, ”आपने इन सभी बिजनेसमैनों को घर से बाहर रखा. इनको हिरासत में क्यों लिया गया है ? सुनवाई में सीबीआई ने कहा कि उन्हें जांच के लिए हिरासत में लिया गया है. जवाब में जज ने पूछा, तो फिर इतने दिनों तक सीबीआई क्या कर रही थी? आखिरकार प्रसन्ना को जमानत मिल गई.

Also Read: राशन वितरण भ्रष्टाचार : मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के आवासों समेत 12 जगहों पर इडी के छापे

Exit mobile version