पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार किया. अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंसा का इतिहास रहा है. हिंसा और चुनाव एक साथ नहीं हो सकते हैं. हिंसा के माहौल में चुनाव नहीं कराया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षाबलों की तैनाती से चुनाव आयोग को क्या दिक्कत है? चुनाव आयोग की जिम्मेदारी चुनाव कराने की है. चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए. वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत से कहा कि हम पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं.
मालूम हो कि पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की- हो सकता है कि हाई कोर्ट ने सोचा हो कि अन्य पड़ोसी राज्यों से बलों की आवश्यकता के बजाय केंद्रीय बलों को तैनात करना बेहतर होगा और खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा.
दरअसल, कलकत्ता हाइकोर्ट ने 15 जून को राज्य चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए 48 घंटे के अंदर मांग की जाए और उनकी तैनाती की जाए. इससे पहले कोर्ट ने 13 जून तक संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था, जिसका पालन नहीं किया गया. फिर विपक्ष ने राज्य निर्वाचन आयोग पर अवमानना का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका पर हाईकोर्ट में 13 जून को ही सुनावाई हुई. इसके बाद ही कोर्ट ने पूरे राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात करने का आदेश दे दिया.