WB News : लोकसभा चुनाव से पहले 1 करोड़ घरों में पेयजल कनेक्शन देगा बंगाल
इस प्रोजेक्ट पर अब तक राज्य में 15 हजार 823 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. केंद्र इस परियोजना का 50 प्रतिशत धन देता है. हालांकि, राज्य को परियोजना के लिए भूमि, रखरखाव आदि की लागत वहन करनी होगी.
राज्य में हर घर को शुद्ध पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) हर संभव कोशिश कर रही है. इस बीच राज्य के एक करोड़ से ज्यादा घरों को पेयजल कनेक्शन देने का काम मार्च महीने तक पूरा हो जायेगा. यानी राज्य के प्रशासनिक हलकों में कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले एक करोड़ घरों तक पानी पहुंचाने का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इतना ही नहीं, राज्य के लोक स्वास्थ्य तकनीकी मंत्री पुलक राय ने भी विधानसभा को इस वित्तीय वर्ष में एक करोड़ मकान बनाने के लक्ष्य के बारे में बताया. पिछले ढाई वर्षों में राज्य ने युद्ध स्तर पर 69.02 लाख घरों में पानी का कनेक्शन देने का काम पूरा किया है.
31 लाख और घरों तक पानी पहुंचाने का काम बाकी
ऐसे में राज्य अगले चार महीने में 31 लाख और घरों तक पानी पहुंचाने का काम कैसे पूरा करेगा ? इस सवाल के जवाब में एक अधिकारी ने कहा कि हर महीने सात लाख घरों तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय कर काम को आगे बढ़ाया जा रहा है. परिणामस्वरूप इस वित्तीय वर्ष के अंत तक लक्ष्य तक पहुंचना संभव हो सकेगा. घरों में सबसे अधिक पानी का कनेक्शन नादिया (8.93 लाख), बांकुड़ा (1.53 लाख), उत्तर 24 परगना (3.75 लाख), पूर्व बर्दवान (7.12 लाख) जैसे जिलों में किया गया है. पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सबसे कम काम आगे बढ़ा है.जहां 10.37 वर्ग मीटर के घरों में से सिर्फ 2.53 लाख घरों में ही पानी का कनेक्शन दिया जा सका है.
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शिकायत दर्ज करने के लिए नंबर जारी किया गया
इतना ही नहीं जिन घरों में पानी का कनेक्शन हो गया है, वहां अगर पानी सप्लाई में कोई दिक्कत आती है तो राज्य की ओर से त्वरित कार्रवाई की जा रही है. राज्य ने शिकायत दर्ज करने के लिए दो व्हाट्सएप नंबर (8902022222 और 8902066666) लॉन्च किए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में शिकायत दर्ज कराने के एक दिन के अंदर ही समस्या का समाधान करने के कई उदाहरण हैं. इस प्रोजेक्ट पर अब तक राज्य में 15 हजार 823 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. केंद्र इस परियोजना का 50 प्रतिशत धन देता है. हालांकि, राज्य को परियोजना के लिए भूमि, रखरखाव आदि की लागत वहन करनी होगी.
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