पश्चिम बंगाल में राशन वितरण भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मौजूदा वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक (Forest Minister and former Food Minister Jyotipriya Mallik) को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के पहले उनके आवासों में घंटों तक छापेमारी की गयी. इस क्रम में मंत्री के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिये गये. मंत्री व उनके परिजनों के बैंक खातों को फिलहाल फ्रीज कर दिया गया है. साथ ही वित्तीय लेन-देन से संबंधित कुछ दस्तावेज भी जब्त किये गये हैं. मंत्री के घरों, उनके पीए अमित दे और व्यवसायी अभिजीत दास के आवासों समेत 12 ठिकानों पर ईडी ने अभियान चलाया था.
सूत्रों के अनुसार, हावड़ा के निवासी दास मल्लिक के पूर्व पीए व करीबी हैं और उनके आवास से केंद्रीय जांच एजेंसी को कुछ दस्तावेज के साथ एक डायरी मिली है. बताया जा रहा है कि उक्त डायरी में ‘बालूदा’ नाम से कुछ जानकारियों का उल्लेख है, इसके अलावा कुछ लेन-देन की जानकारी भी है. साथ मिले दस्तावेजों के आधार पर तीन निजी संस्थानों का भी पता चला है. यह अंदेशा जताया जा रहा है कि संस्थानों के जरिये करीब 12 करोड़ रुपये काले धन को सफेद किया गया है. इतना ही नहीं, संस्थानों के बैंक खातों में करीब आठ करोड़ की राशि भी जमा हुई. यह राशि नकद जमा हुई है. ईडी सूत्रों के अनुसार, मामले में पहले से गिरफ्तार व्यवसायी बकीबुल रहमान और मंत्री के पीए अमित दे से पूछताछ कर कई अहम तथ्य मिले हैं. मल्लिक पर आरोप है कि उन तथ्यों को लेकर पूछे गये प्रश्नों का उन्होंने जवाब नहीं दिया. उनके बयान में भी विसंगतियां मिलीं.
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इस मामले में ईडी की जांच के दायरे में मंत्री मल्लिक की पत्नी व बेटी के अलावा उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी भी जांच के दायरे में हैं. सूत्रों के अनुसार, जांच में जिन तीन निजी संस्थानों का पता चला है, उनकी पूर्व निदेशक मंत्री की पत्नी व बेटी थीं. अब यह बात सामने आ रही है कि इन संस्थानों के मौजूदा निदेशक हैं, जो मल्लिक के कर्मचारी बताये जा रहे हैं. इधर, मंत्री और उनके परिजनों की संपत्तियों से जुड़े तमाम तथ्यों की जानकारी एकत्रित करने में केंद्रीय जांच एजेंसी जुटी है.ईडी ने अदालत में दावा किया है कि वर्ष 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हुए विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को दिये हलफनामा में ज्योतिप्रिय मल्लिक ने अपनी पत्नी के बैंक खातों में 45 हजार रुपये राशि बतायी थी, वह एक वर्ष में बढ़कर छह करोड़ हो गयी. घोटाले की जांच के तहत ईडी ने अमित दे और अभिजीत दास से फिर पूछताछ की है.
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