वेस्ट बंगाल क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन (डब्ल्यूबीसीईआरसी) ने वुडलैंड्स अस्पताल को एक मरीज के परिजनों को 50,000 रुपये क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया है. आयोग ने अपनी जांच में अस्पताल की ओर से लापरवाही पायी है. मरीज अक्षर गुप्ता को फुटबॉल खेलते समय पैर में चोट लग गयी थी. उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो आर्थोपेडिक सर्जन ने उनके घुटने का एमआरआइ कराने को कहा. जैसे ही मरीज को एमआरआइ के लिए ले जाया गया, उसने एक एसओएस बटन दिया और कहा कि अगर जांच के दौरान कोई दिक्कत होती है तो वह इसे दबा सकते हैं. यह आरोप लगाया गया कि मरीज ने तीन बार अलार्म बजाया तो एमआरआइ कर रहे स्वास्थ्यकर्मी ने कहा कि जल्द ही प्रक्रिया को पूरा हो जायेगी.
पर एमआरआइ के होने के बाद पता चला कि अत्यधिक गर्मी के कारण उनके घुटने का एक हिस्सा जल गया है. अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीज से आपातकालीन वार्ड में भर्ती होने का आग्रह किया. परिजनों से इनकार कर दिया. इसके बाद परिजनों की ओर से डब्ल्यूबीसीईआरसी में शिकायत दर्ज करायी. आयोग ने इस मामले की पहली सुनवाई पूजा से पहले की थी. गुरुवार को आयोग ने वुडलैंड्स अस्पताल को मुआवजा देने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि अगर उक्त मरीज अस्पताल आता है तो उसका मुफ्त इलाज करना होगा. वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन सह पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने यह जानकारी दी. आयोग की ओर से आयोजित वर्चुअली प्रेस काॅन्फ्रेंस में उन्होंने यह जानकारी दी.
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एक अन्य मामले में, डब्ल्यूबीसीईआरसी ने नारकेलडांगा स्थित कोलकाता मेडिकल सेंटर से एक मरीज के परिवार के सदस्यों को 1,93,000 रुपये वापस करने का निर्देश दिया है. इस मामले में संदीप दास नामक एक व्यक्ति द्वारा आयोग से शिकायत की गयी थी. इस संबंध में आयोग की ओर से बताया गया कि संदीप ने अपने परिजन को ऑर्थोपेडिक सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. अस्पताल ने स्वास्थ्य साथी कार्ड को ब्लॉक करवा दिया था. इसके बाद कैश पेसेंट के तौर पर मरीज का इलाज किया. मरीज के परिजन से इलाज खर्च के तौर पर 1,93,000 रुपये वसूले गये थे. डब्ल्यूबीसीईआरसी ने अस्पताल को चार किश्तों में उक्त राशि चुकाने का निर्देश दिया.
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