पश्चिम बंगाल की तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा (Mahuaa Moitra) अब सांसद नहीं रहींं. कैश फॉर क्वेरी के मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद की सदस्यता समाप्त कर दी गई है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी. गौरतलब है कि महुआ अपने 14 साल के राजनीतिक सफर में सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही हैं.एक इन्वेस्टर्स बैंकर से सांसद के सफर में महुआ मोइत्रा ने कई-उतार चढ़ाव देखे है. महुआ मोइत्रा का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है.
महुआ मोइत्रा का शुरुआती जीवन असम और कोलकाता में बीता लेकिन 15 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गईं. इसके बाद अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और न्यूयॉर्क में बैंकर की नौकरी शुरू कर दी. उन्होंने न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज के लिए एक निवेश बैंकर के रूप में काम किया.
महुआ मोइत्रा ने भारतीय राजनीति में प्रवेश करने के लिए 2009 में लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में उपाध्यक्ष का अपना पद छोड़ दिया. इसके बाद वह भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हो गईं, जहां वह “आम आदमी का सिपाही” परियोजना में राहुल गांधी की भरोसेमंदों में से एक थीं. 2010 में, वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी में चली गईं. वह 2016 में हुए विधान सभा चुनावों में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गईं. 2019 आम चुनावों में वह कृष्णानगर से 17वीं लोकसभा के लिए संसद सदस्य के रूप में चुनी गई. 13 नवंबर 2021 को, उन्हें 2022 गोवा विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी पार्टी के गोवा प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया.
महुआ मोइत्रा टीएमसी की मुखर नेता हैं साथ ही वो पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद थी. महुआ मोइत्रा ने 2008 में राजनीति में उतरने के लिए प्राइवेट क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी जेपी मॉर्गन के वायस प्रेसिडेनट पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. उसके बाद पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया और 2019 में उन्हें ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया. ममता बनर्जी की उम्मीदों पर वो पूरी तरह खरी उतरीं और कृष्णानगर सीट से सांसद बनीं थी.