पश्चिम बंगाल सरकार सिंगूर को लेकर टाटा मोर्टस (Tata Motors) को मुआवजा देने संबंधी मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने जा रही है. राज्य प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में पहले से ही कानूनी सलाह ली जा रही है. राज्य प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार को वकीलों से परामर्श करना शुरू कर दिया है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बात पर चर्चा चल रही है कि इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में केस दायर किया जाए या सुप्रीम कोर्ट में जाए. संयोग से मध्यस्थता अदालत ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार के औद्योगिक विकास निगम को टाटा मोटर्स को मुआवजे के रूप में 756.78 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है.
टाटा मोटर्स को भूमि विवाद होने से अक्तूबर 2008 में अपने संयंत्र को पश्चिम बंगाल के सिंगूर से स्थानांतरित कर गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था. उस समय तक टाटा मोटर्स सिंगूर में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुकी थी. इस संयंत्र में उसकी छोटी कार नैनो का उत्पादन होना था. टाटा मोटर्स ने शेयर बाजार को दी गयी सूचना में कहा कि तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक, कंपनी प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीआईडीसी) से 765.78 करोड़ रुपये की राशि 11 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वसूलने की हकदार है. ब्याज की गणना एक सितंबर, 2016 से मुआवजा चुकाने की तारीख तक होगी.
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टाटा मोटर्स ने सिंगूर संयंत्र बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए डब्ल्यूबीआईडीसी से मुआवजा मांगा था. इसमें पूंजी निवेश पर हुई नुकसान समेत अन्य मदों में दावा किया गया था. कंपनी ने कहा, तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 30 अक्तूबर 2023 को आम सहमति से दिए अपने फैसले में यह मामला टाटा मोटर्स के पक्ष में निपटा दिया है. कंपनी ने यह भी कहा कि फैसले के तहत टाटा मोटर्स डब्ल्यूबीआईडीसी से कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए एक करोड़ रुपये पाने की भी हकदार है. टाटा मोटर्स ने सिंगूर परियोजना बंद होने के बाद जून, 2010 में अपनी छोटी कार नैनो के विनिर्माण के लिए साणंद में एक नया संयंत्र चालू किया था. हालांकि कुछ साल पहले कंपनी नैनो का निर्माण बंद कर चुकी है. साणंद संयंत्र का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने किया था.
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तृणमूल कांग्रेस ने सिंगूर में बंद हो चुकी कार परियोजना के लिए पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआइडीसी) के खिलाफ मध्यस्थता कार्यवाही में टाटा मोटर्स की जीत को तवज्जो नहीं दी और कहा कि यह ‘अंतिम फैसला नहीं है’ तथा राज्य सरकार के सामने कानूनी रास्ते खुले हैं. तृणमूल सांसद सौगत राय ने कहा यह सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं है. यह मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला है. इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार के लिए सारे रास्ते बंद हो गये हैं. राज्य सरकार के लिए कानूनी रास्ते अभी भी खुले हैं.
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भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि राज्य सरकार को अगर टाटा माेर्टस को पैसा देना है तो टीएमसी फंड से वापस करें. ममता बनर्जी को जनता के पैसे का इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है. अगर राज्य सरकार सरकारी फंड से पैसा चुकाने का प्रयास करती है तो इसे लेकर हमलोग बड़ा आंदोलन करेंगे.
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