कोलकाता : पश्चिम बंगाल में छठे चरण में चार जिलों की जिन 43 सीटों के लिए 22 अप्रैल को मतदान होना है, वह मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा है. वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में इन 43 सीटों में से 32 सीटों पर तृणमूल, सात सीट पर कांग्रेस, दो पर माकपा व एक सीट पर फारवर्ड ब्लॉक ने जीत हासिल की थी, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से राजनीतिक समीकरण ही बदल चुका है.
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बैरकपुर, बनगांव और राजगंज सीट पर जीत हासिल कर तृणमूल व कांग्रेस दोनों को ही करारा झटका दिया था. इस बार के चुनाव में जहां तृणमूल कांग्रेस को इन सीटों को बचाये रखना चुनौती है तो वहीं, भाजपा भी लोकसभा चुनाव में मिले वोट को विधानसभा चुनाव में भी पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.
इस दौरान जहां उनके सामने अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को कायम रखने की चुनौती है तो दूसरी ओर यह भी सुनिश्चित करने की चुनौती है कि मतुआ वोट बैंक में कहीं भाजपा बड़े पैमाने पर सेंधमारी नहीं कर दे. इसके साथ ही उनके समक्ष धार्मिक आधार पर खासकर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण रोकने की भी चुनौती है.
Also Read: छठे चरण के मतदान से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पीएम मोदी तक पर हुए ऐसे-ऐसे हमले
छठे चरण में जिन चार जिलों में मतदान होना है, उनमें उत्तर दिनाजपुर की नौ सीटों में से ज्यादातर पर अल्पसंख्यक ही निर्णायक हैं, लेकिन भाजपा ने भी हाल में उस इलाके में बड़े पैमाने पर चुनाव अभियान चलाया है और पार्टी के तमाम नेता इलाके में रैलियां कर चुके हैं. दरअसल इस चरण में पूर्व बर्दवान के अलावा बाकी तीनों जिलों की सीमा बांग्लादेश की सीमा से लगी है. उत्तर 24-परगना की 17 और नदिया जिले की नौ सीटों पर अल्पसंख्यकों के अलावा मतुआ समुदाय का भी खासा असर है.
मतुआ समुदाय का समर्थन पहले तृणमूल कांग्रेस के साथ था, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की है. इस तबके को लुभाने की कवायद के तहत ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान मतुआ धर्मगुरु हरिचंद ठाकुर के जन्म स्थान पर गये थे और वहां बने मंदिर के दर्शन किये थे.
Also Read: ऑसग्राम : तृणमूल की लहर में भी मुकाबला माकपा बनाम कांग्रेस था, इस बार त्रिकोणीय
बांग्लादेश से लौटने के बाद उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले में मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर में भी रैली की है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी के तमाम नेता इन इलाकों में रैलियां और रोड शो कर चुके हैं. अमित शाह तो भाजपा के जीतने की स्थिति में नागरिकता कानून लागू कर मतुआ लोगों को नागरिकता देने का भी वादा कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने लोकसभा चुनाव के समय भी यही वादा किया था, लेकिन अब तक सीएए लागू नहीं होने की वजह से समुदाय के लोगों में कुछ नाराजगी है.
दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने दावा किया है कि मतुआ समुदाय की बड़ो मां ने उनको पत्र लिखकर इस समुदाय के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी. उत्तर 24 परगना के अलावा नदिया व उत्तर दिनाजपुर जिले में भी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है. भाजपा ने सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ और पशुओं की तस्करी को ही मुद्दा बनाया है.
Also Read: कोरोना के बढ़ते मामले पर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी से पूछा सवाल, स्वास्थ्य साथी कहां है दीदी ?
राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि चुनाव अभियान के आखिरी चरण में पहुंचने के साथ ही दोनों दलों के बीच टकराव और निजी हमले तेज हो रहे हैं. इस बीच तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से माकपा, कांग्रेस और उसके बाद ममता बनर्जी ने भी अपनी रैलियों और रोड शो में कटौती का एलान कर दिया है, लेकिन भाजपा ने अब तक ऐसा कुछ नहीं कहा है.’
Posted By : Mithilesh Jha