Bengal Vidhan Sabha Chunav 2021: चौंका सकता है नंदीग्राम विधानसभा का चुनाव परिणाम

Bengal Vidhan Sabha Chunav 2021: बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की घड़ी करीब आ चुकी है. पहले चरण में 30 सीटों पर वोट होना है. इसमें नंदीग्राम की सीट शामिल नहीं है. बावजूद इसके यदि चुनाव में सबसे ज्यादा किसी सीट की चर्चा हो रही है, तो वह है नंदीग्राम. नंदीग्राम के बारे में हर कोई जानना चाहता है. बारीक से बारीक जानकारी पढ़ना और सुनना चाहता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2021 2:48 PM
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कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की घड़ी करीब आ चुकी है. पहले चरण में 30 सीटों पर वोट होना है. इसमें नंदीग्राम की सीट शामिल नहीं है. बावजूद इसके यदि चुनाव में सबसे ज्यादा किसी सीट की चर्चा हो रही है, तो वह है नंदीग्राम. नंदीग्राम के बारे में हर कोई जानना चाहता है. बारीक से बारीक जानकारी पढ़ना और सुनना चाहता है.

तमाम राजनीतिक विश्लेषक अपने-अपने हिसाब से नंदीग्राम का गणित बता रहे हैं. कोलकाता के श्याम सुंदर पोद्दार ने न केवल नंदीग्राम में जीत-हार का गणित बताया है, बल्कि यह भी बताया है कि तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर क्यों हुईं.

श्याम सुंदर पोद्दार का मानना है कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए कोलकाता की भवानीपुर सीट सुरक्षित नहीं रह गयी थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को सबसे ज्यादा 68 हजार वोट की बढ़त नंदीग्राम ने ही दी थी.

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संसदीय चुनाव में भाजपा को 121 विधानसभा विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी. वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 161 और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन को 12 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल हुई. इस तरह यदि तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी यदि 15 सीट हार गयी, तो वह बहुमत तक नहीं पहुंच पायेगी.

बंगाल में बहुमत का आंकड़ा

बंगाल में बहुमत का आंकड़ा 147 है. यानी जो 147 सीट जीत जायेगा, वह सरकार बनाने की स्थिति में आ जायेगा. दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगर लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन में थोड़ा सुधार करते हुए अतिरिक्त 28 सीटें जीत जाती है, तो वह सरकार बनाने की स्थिति में आ जाती है.

श्याम सुंदर पोद्दार कहते हैं कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो भी हैं, अपनी पार्टी को ठीक से संभाल नहीं सकीं. उनके कई कुशल योद्धा उन्हें छोड़कर चले गये. सभी ने भाजपा का दामन थामा. सिर्फ शुभेंदु अधिकारी के जाने से पूर्वी एवं पश्चिमी मेदिनीपुर की कम से कम 35 सीटों पर तृणमूल संकट में आ गयी है.

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इन्हीं 35 सीटों को बचाने के लिए ममता बनर्जी आज नंदीग्राम से विधानसभा का चुनाव लड़ रही हैं. ममता बनर्जी को समझ आ गयी है कि नंदीग्राम के 21 प्रतिशत मुस्लिम वोटर ही उन्हें शुभेंदु अधिकारी पर 40 हजार से अधिक वोटों की बढ़त दिला सकते हैं. लोकसभा चनाव में नंदीग्राम में 2,06,000 वोट पड़े थे.

श्री पोद्दार का कहना है कि ममता बनर्जी भूल जाती हैं कि शुभेंदु भाजपा के उम्मीदवार हैं. भाजपा प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव में 62 हजार वोट मिले थे. यह गणित बताता है कि विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर 19 हजार वोटों की बढ़त हासिल कर ली है.

लोकसभा चुनाव में किसको मिली थी बढ़त

लोकसभा के चुनाव में टीएमसी को 1,30,000 से अधिक वोट मिले. यानी 87 हजार हिंदू वोट उसको मिले. इस तरह देखें, तो ममता बनर्जी को चुनाव जीतने के लिए 53,000 हिंदू वोटों की जरूरत होगी. वहीं, ममता बनर्जी को परास्त करने के लिए शुभेंदु अधिकारी को 34,000 वोटों की जरूरत होगी.

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श्री पोद्दार कहते हैं कि बंगाल में चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की स्तिथि उत्पन्न हो गयी है. जैसे-जैसे चुनाव करीब आयेंगे, वोटों का ध्रुवीकरण और तेज होगा. वैसी स्थिति में कौन किस तरफ होगा, इसके बारे में अभी अनुमान लगाना कठिन है. वैसे भी बंगाल का वोटर कोई संकेत नहीं देता. सिर्फ वोट करता है.

2011 में मतदाताओं ने चौंकाया था

वर्ष 2011 में किसी ने नहीं सोचा था कि माकपा की सत्ता चली जायेगी और ममता सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो जायेंगी. इसलिए इस वक्त भी यह कहना जल्दबाजी होगी कि जीत किसकी होगी और हार किसकी होगी. लेकिन, इतना तय है कि नंदीग्राम का चुनावी गणित ठीक वैसा ही नहीं है, जैसा दिख रहा है. परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं.

Posted By : Mithilesh Jha

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