Bengal Election 2021 : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (Bengal Vidhan Sabha Chunav) से पहले 170 सीटों पर बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है. दरअसल, राज्य में चुनाव से पहले एक हिंदूवादी पार्टी जन संहति (Hindu jan samhati party) ने चुनाव लड़ने का एलान किया है. पार्टी ने कहा है कि वे बंगाल में हिंदू जनता के विकास के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी. वहीं पार्टी ने शिवसेना (Shivsena) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने के संकेत दिए है.
जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ सपोर्ट करने वाली जन संहति नामक पार्टी उत्तर बंगाल की 40 और दक्षिण बंगाल की 130 सीट यानि कुल 170 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. बता दें, कि कट्टर हिंदुत्व के तौर पर हिंदू संहति को जाना जाता है. उनकी पैठ दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना के अलावा उत्तर बंगाल व हिंदू बहुल के अलावा मुस्लिम बहुल जिलों में भी है.
बताया जा रहा है कि अगर यह दल चुनाव में उतरती है, तो बीजेपी (BJP) को इसका नुकसान हो सकती है. वहीं सियासी गलियारों में चर्चा में है कि जन संहति भाजपा के बहुसंख्यक वोट बैंक में ही सेंधमारी करेगी. इसका सीधा असर भाजपा पर पड़ने की संभावना है. जन संहति पार्टी के अध्यक्ष देवतनु भट्टाचार्य है. पार्टी बनाने की बात पर भट्टाचार्य ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा ने एनआरसी, सीएए, जन्म नियंत्रण कानून वगैरह को लागू नहीं किया. उलटे नारदा और सारधा मामले के आरोपियों को पार्टी में लेकर लोगों की भावना के साथ खिलवाड़ किया है.
भट्टाचार्य ने आगे कहा कि इसलिए वे इस बार भाजपा को सबक सिखाना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के लिए अभी तक उनके साथ किसी ने संपर्क नहीं किया है. अगर शिवसेना या समान विचारधारा वाली पार्टियां उनसे बात करती है तो वह उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं.
इधर शिव सेना ने भी बंगाल में अपने उम्मीदवारों को उतारने की घोेषणा कर दी है. इस बाबत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के प्रवक्ता अशोक सरकार ने कहा है कि उन सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे जहां उनके जीत की संभावना है. इसके लिए जरूरत पड़ने पर वे समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन भी कर सकते हैं. इसके लिये ममता बनर्जी का साथ लेने में भी उन्हें गुरेज नहीं है.
हालांकि भाजपा जन संहति या फिर शिव सेना को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. भाजपा के प्रदेश महासचिव संजय सिंह के अनुसार इतना बड़ा देश हैं और इतनी पार्टियां हैं, उसमें एक और बढ़ गयी तो इससे भाजपा की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा. ऐसे में कई ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा की लड़ाई बहुत कठिन रही थी. इसमें जीतने व हारने वाली, दोनों ही सीटें शामिल हैं. ऐसे में अगर बहुसंख्यक वोटों में बंटवारा हुआ तो खामियाजा भाजपा को ही उठाना पड़ेगा. लिहाजा राज्य की राजनीति में अब तक अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंधमारी का जो समीकरण सामने आया था वही समीकरण अब बहुसंख्यक मतदाताओं के लिए भी लागू होने लगा है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra