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Bengal Chunav 2021 : तो इस वजह से बंगाल चुनाव से पहले अधर में लटक गई है ओवैसी समर्थक पीरजादा अब्बास और कांग्रेस के बीच गठबंधन? पढ़िए Inside Story

bengal vidhan sabha election 2021, aimim and congress alliance inside story : विधानसभा चुनाव में अब्बास सिद्दिकी की पार्टी, इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (आइएसएफ) राज्य की 36 से 40 सीटों पर निर्णायक शक्ति के रूप में उभर सकती है. अब्बास की पार्टी ने वाम दलों और कांग्रेस के साथ अलग-अलग बातचीत की है. हालांकि अभी तक अब्बास के साथ वाम-कांग्रेस का गठबंधन पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि इसके पीछे सीटों की संख्या है, वहीं अगर सिद्दकी कांग्रेस गठबंधन में नहीं आते हैं तो ओवैसी की पार्टी भी गठबंधन से दूर हो जाएगी.

Bengal Chunav 2021 : विधानसभा चुनाव में अब्बास सिद्दिकी की पार्टी, इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (ISF) राज्य की 36 से 40 सीटों पर निर्णायक शक्ति के रूप में उभर सकती है. अब्बास की पार्टी ने वाम दलों और कांग्रेस के साथ अलग-अलग बातचीत की है. हालांकि अभी तक अब्बास के साथ वाम-कांग्रेस का गठबंधन पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि इसके पीछे सीटों की संख्या है, वहीं अगर सिद्दकी कांग्रेस गठबंधन में नहीं आते हैं तो ओवैसी की पार्टी (Owaisi Ki party) भी गठबंधन से दूर हो जाएगी.

गौरतलब है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि चुनाव में अब्बास की पार्टी एक निर्णायक शक्ति बन सकती है. मन्नान ने अपने पत्र में अब्बास के लिए ‘गेम चेंजर’ शब्द का इस्तेमाल किया था. इसे महसूस करते हुए, वाम-कांग्रेस गठबंधन ने अब्बास की पार्टी को उनके साथ आने का आह्वान किया है. वहीं कहा जा रहा है कि पीरजादा को कांग्रेस सिर्फ 25 सीट देना चाहती है, इसको लेकर बातचीत फंस गई है.

आंकड़ों के मुताबिक, ममता बनर्जी (Mamata banerjee) की पार्टी दक्षिण बंगाल के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत के बाद सत्ता में आयी, जहां अब्बास ने अपना प्रभाव सबसे अधिक बढ़ाया है. फुरफुरा शरीफ के युवा पीरजादा उत्तर और दक्षिण 24 परगना के अलावा हावड़ा, हुगली, नादिया, वीरभूम और मुर्शिदाबाद में पार्टी का प्रभाव को बढ़ाने में सक्षम हैं. उनके अनुयायियों का दावा है कि उन्होंने उत्तर और दक्षिण 24 परगना के अल्पसंख्यक बहुल सुंदरवन इलाके में सबसे अधिक प्रभाव डाला है.

पिछली जनगणना के अनुसार, राज्य में अल्पसंख्यक वोट 28 से 30 प्रतिशत है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस 30 प्रतिशत वोट को किसी भी हाल में अपने पाले में करना चाहती है. वहीं अब्बास की पार्टी माकपा और कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर अल्पसंख्यक वोट को अपनी ओर खींचने की तैयारी में है

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क्यों लगी अटकलें- बता दें कि ओवैसी ने बंगाल चुनाव के मद्देनजर पीरजादा की पार्टी को समर्थन किया, जिसके बाद पीरजादा ने दावा किया कि कांग्रेस के साथ ओवैसी और AIMIM भी आएंगे. हालांकि अभी तक न तो ओवैसी और ना ही कांग्रेस ने इसपर कोई बयान दिया है.

Posted By : Avinish kumar mishra

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