Durga Puja 2023: लोहरदगा में दुर्गा पूजा का स्वर्णिम इतिहास, आजादी के पहले से होता आ रहा है आयोजन
बंगाली समुदाय व जमींदारों ने 1923 में यहां दुर्गा पूजा शुरू की थी. वर्ष 2005 में दुर्गा बाड़ी में भगवती एवं काली के मंदिरों की स्थापना हुई. ग्रामीण इलाकों में जमीनदार परिवारों के माध्यम से दुर्गा पूजा होने लगी. फिलहाल जिले में सात दर्जन से अधिक स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा की जाती है.
Durga Puja 2023: लोहरदगा में दुर्गा पूजा का इतिहास गौरवशाली रहा है. यहां मूर्ति स्थापित कर दुर्गा पूजा की शुरुआत बंगाली समाज ने की थी. वर्ष 1923 में बंगाली समुदाय और स्थानीय जमीनदारों ने वर्तमान में साहू पेट्रोल पंप के पास पंडाल बना कर पूजा शुरू की थी. जिले में संभवत: यह पहला अवसर था, जब मूर्ति स्थापित कर मां दुर्गा की शारदीय नवरात्र में आराधना की गयी. पांच वर्षों तक यहां पूजा होती रही.
1936 में पावरगंज में हुई थी दुर्गा बाड़ी की स्थापना
बाद में पावरगंज चौक के पास मूर्ति स्थापित कर कई वर्षों तक पूजा करने की परंपरा चलती रही. वर्ष 1936 में पावरगंज में श्रीश्री दुर्गा बाड़ी की स्थापना के बाद दुर्गा पूजा का प्रसार जिले के अन्य क्षेत्रों में हुआ. यहां पर लाल गोपीनाथ शाहदेव, ललित मोहन चौधरी, श्रीकंठ दत्ता, गोपेंद्र नाथ चंद्रा, दिनेश चौधरी, रुक्मिणी भूषण राय, सचिंद्र मोहन घोष, देवेंद्र कुमार, भुवन मोहन दत्ता, सचिंद्र सेन, निपेन चौधरी के सहयोग से पूजा की शुरुआत हुई. इसके बाद शहर के अन्य क्षेत्रों में भी पूजा होने लगी. विशुद्ध बंगाली संस्कृति की झलक यहां की पूजा पद्धति में दिखती है. शारदीय नवरात्र के अवसर पर जागरण, भजन, बंगाली नाटकों का मंचन आकर्षण का केंद्र होता है. संध्या आरती के बाद होने वाले घुना नाच में पूरे बंगाल की झलक देखने को मिलती है.
2005 में हुई थी मंदिर की स्थापना
वर्ष 2005 में दुर्गा बाड़ी में भगवती एवं काली के मंदिरों की स्थापना हुई. दुर्गा बाड़ी के बाद भगवती आराध्य समिति राणा चौक, थाना टोली, अपर बाजार, तेतरतर, अमला टोली, हटिया गार्डेन, बरवाटोली, रेलवे साइडिंग, मैना बगीचा, पतराटोली, ब्लॉक मोड़ में पूजा की शुरुआत हुई. ग्रामीण इलाकों में जमीनदार परिवारों के माध्यम से दुर्गा पूजा होने लगी. कुडू प्रखंड के चांपी, कुडू, सदर प्रखंड के हाटी, मन्हो, पेशरार के मुरमू, किस्को प्रखंड के किस्को, भंडरा व कैरो प्रखंड में भी दुर्गा पूजा शुरू हुई. फिलहाल जिले में सात दर्जन से अधिक स्थानों पर विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों द्वारा पंडाल बना कर माता भगवती की प्रतिमा की पूजा की जाती है.