अपने शानदार कुश्ती कौशल के लिए प्रसिद्ध और मध्य प्रदेश की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेसडर रानी राणा ने अपने ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और लगातार शारीरिक पीड़ा पहुंचाने का आरोप लगाया है. यह परेशान करने वाली घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की सीमा के भीतर सामने आई, जो मौजूदा सामाजिक चुनौतियों पर प्रकाश डालती है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रानी राणा ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में अपने ससुराल वालों पर दहेज और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
पहलवान रानी राणा, जो मुरार के सुरिया पुरा के शांत इलाके में रहती हैं. उन्होंने मुरार पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करके एक साहसिक कदम उठाया है. इस प्रारंभिक कार्रवाई से अधिकारियों को त्वरित प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत एक व्यापक मामला दर्ज किया. इस परेशान करने वाली घटना की जांच के लिए पुलिस विभाग ने एक जांच टीम बनायी है और तेजी से जांच के निर्देश दिये गये हैं.
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अपनी दर्दनाक कहानी बयां करते हुए रानी राणा ने खुलासा किया कि खेल में उत्कृष्ट पहचान बनाने के उनके सपने के उनके ससुरालवालों ने कुचल दिया है. कथित तौर पर दहेज के विवादास्पद मामले के बीच उनके साथ काफी क्रूर हरकत की गयी है. कई बार उनकी पिटाई की गयी है. इन घटनाओं ने उनको मानसिक रूप से परेशान कर दिया है और उनका खेल पूरी तरह छूट गया है. उन्होंने पुलिस थाने में व्यापक शिकायत दर्ज करायी है.
शहर के पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) विनायक शुक्ला ने एएनआई को बताया, ‘पहलवान रानी राणा, जो बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर भी हैं, ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज मांगने और शारीरिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उसके पति, सास और ससुर के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और तुरंत ही मामले की जांच शुरू कर दी. पीड़िता का पति एक जिम का संचालक है और उससे जिम खोलने के लिए पैसे की मांग कर रहा था और पैसे नहीं देने पर उसके साथ मारपीट की गई थी.
शुक्ला ने कहा, ‘मामला दर्ज कर लिया गया है और जल्द ही मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी,’ गौरतलब है कि रानी राणा ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत बड़े संघर्षों से की और न केवल अपने परिवार का बल्कि देश में ग्वालियर का भी नाम रोशन किया. उन्होंने नेशनल रेसलिंग टूर्नामेंट में गोल्ड समेत कई मेडल जीते हैं. शादी के बाद उनको अपना खेल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.
रानी राणा ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा था कि जब उन्होंने रिंग में पुरुष पहलवान को पछाड़ा था तब उन्हें लोगों से तो सराहना मिली थी लेकिन उनके भाई ने उनको काफी कोसा था. उनकी मां कभी नहीं चाहती थी कि वह रिंग में उतरे. उन्होंने कहा, ‘मैंने बचपन से ही महिलाओं के साथ भेदभाव और उत्पीड़न देखा है. एक बच्चे के रूप में, मैं हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए खुद को सशक्त बनाना चाहती थी. जब मैंने पहली बार पहलवानों को एक-दूसरे से मुकाबला करते देखा, तो इससे मुझे मजबूत होने का एहसास हुआ.’
रानी की शुरुआती कोच फातिमा बताती हैं कि चार साल पहले, रानी हमारे पास ग्वालियर आई और कहा कि वह पहलवान बनना चाहती है. मैंने लड़की में जुनून देखा. मैं उन्हें समझाने के लिए उनके माता-पिता से मिली लेकिन उनकी मां को लगा कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है. उनकी कुश्ती पोशाक पर भी परिवार की ओर सेआपत्ति जताई गई.’ रानी ने कहा, ‘मेरे भाइयों और अन्य रिश्तेदारों ने कहा कि मैं अपना शरीर दिखा कर रही हूं. लेकिन जब मेरे रिश्तेदारों ने मुझे डांटा, तब भी मैंने अपने सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा. मेरे रिश्तेदारों ने 11 जनवरी को भी मेरी आलोचना की थी जब मैंने एक पुरुष पहलवान को मुकाबले के एक मिनट के भीतर ही ढेर कर दिया था.’