बेतला नेशनल पार्क : जलाशयों में पानी कम, बढ़ सकती है जानवरों की परेशानी, वन विभाग की क्या है तैयारी ?
पिछले साल बरसात में बारिश कम हुई थी. पिछले चार माह से भी बारिश नहीं हुई है. इस कारण जलाशय अथवा नाले में पानी की मात्रा पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षा कृत कम है. ऐसी स्थिति में इस वर्ष फरवरी महीने से ही पार्क की अलग-अलग जगहों पर बने जलाशय में टैंकर से जलापूर्ति करनी पड़ सकती है.
बेतला (लातेहार), संतोष कुमार. पिछले वर्ष मानसून में हुई कम बारिश का असर बेतला नेशनल पार्क में जनवरी माह में ही दिखने लगा है. पार्क के जलाशयों में पानी की मात्रा कम होने के कारण जंगली जानवरों को परेशानी हो सकती है. पार्क एरिया के कुछ जलाशय तो सूख गये हैं और कुछ सूखने की कगार पर है. हालांकि वन विभाग के पदाधिकारियों का दावा है कि जंगल में पानी की कमी नहीं है. जानवरों को पर्याप्त पानी मिल रहा है, लेकिन स्थानीय लोग वर्तमान समय में जंगल के जलाशयों में पानी की मात्रा को नाकाफी समझ रहे हैं.
पानी की कमी से बढ़ेगी परेशानी
पिछले साल बरसात में बारिश कम हुई थी. पिछले चार माह से भी बारिश नहीं हुई है. इस कारण जलाशय अथवा नाले में पानी की मात्रा पिछले वर्षों की तुलना में अपेक्षा कृत कम है. ऐसी स्थिति में इस वर्ष फरवरी महीने से ही पार्क के अलग-अलग जगह पर बने जलाशय में टैंकर से जलापूर्ति करनी पड़ सकती है. जानकारों की मानें तो जंगली जानवरों को पानी पीने के अलावा उन्हें नहाने के लिए भी जरूरत होती है, लेकिन जब जलाशयों में पानी नहीं होता है तो वह पानी की खोज में जंगल से बाहर भटकने लगते हैं. जिसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं. जंगल से बाहर जाने पर जानवरों का शिकारियों के द्वारा शिकार कर लिया जाता है. इतना ही नहीं पानी की तलाश में खतरनाक जंगली जानवर आबादी की तरफ रूख करते हैं और कई बार इंसानों पर हमला भी कर देते हैं.
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मधुचुआं सबसे बड़ा जलस्रोत
बेतला नेशनल पार्क में एक दर्जन से अधिक प्राकृतिक जलाशय हैं वहीं कई कृत्रिम जलाशय ही बनाया गया है. पार्क क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक जल स्रोत नवाबांध, खैराही, नुनाही, बाघ झोपड़ी, फूठहवा, बौलिया, खैराही, दूध मटिया झबरीबर, खरोपवा, गोबरदाहा, कनौदी, जमुआही, पपरापानी ,शिवनाला, जितिया नाला का जल स्तर भी काफी कम हो गया है. इन सब में मधुचुआं व कमलदह झील सबसे बड़े जलाशय हैं. यहां भीषण गर्मी में भी पानी सूखता नहीं है.
छह हजार हिरण सहित हजारों की संख्या में हैं पक्षी
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान समय में करीब छह हजार हिरण के अलावा इतने ही संख्या में लंगूर और बंदर हैं. साथ ही पांच दर्जन से अधिक बाइसन, एक दर्जन से अधिक हाथी हैं. इतना ही नहीं, सैकड़ों प्रकार के पक्षी हैं.
क्या कहते हैं रेंजर
बेतला नेशनल पार्क के रेंजर शंकर पासवान ने कहा कि अभी पार्क क्षेत्र में पानी की समस्या नहीं है. फिर भी विभाग के द्वारा पूरी निगरानी की जा रही है. जंगली जानवरों का भटकाव न हो, इस पर भी विशेष फोकस करके काम किया जा रहा है. जैसे ही पानी की समस्या होगी, तुरंत टैंकर से जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी.