गोरखपुर में बलिदान दिवस पर याद किए गए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, निकाला गया जुलूस की गईं सभाएं

गोरखपुर में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर दिशा छात्र संगठन की ओर से गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने एक सभा का आयोजन किया गया. पंथ पार्क में नुक्कड़ नाटक और क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति की गई

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2023 7:32 PM
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गोरखपुर . शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर दिशा छात्र संगठन की ओर से गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने एक सभा का आयोजन किया गया. पंथ पार्क में नुक्कड़ नाटक और क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति की गई. बताते चलें दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, बिगुल मजदूर दस्ता और भारत के क्रांतिकारी मजदूर पार्टी की ओर से इस अवसर पर देश भर में भगत सिंह का जन अधिकार यात्रा निकाली जा रही है. विश्वविद्यालय गेट के सामने सभा के बाद छात्रों युवाओं का जुलूस गोरखपुर के विश्वविद्यालय चौराहा होते हुए गोलघर, विजय चौक, बैंक रोड ,टाउन हॉल, होते हैं बेतियाहाता शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पहुंचा.जहां पर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभा का आयोजन किया गया.

दिशा छात्र संगठन ने क्रांतिकारियों को किया नमन

इस दौरान जगह-जगह पर नुक्कड़ सभाएं भी की गई. दिशा छात्र संगठन की अंजलि ने कहा कि इस यात्रा का मकसद अपने क्रांतिकारी विरासत को याद करते हुए आज के सवालों पर एक क्रांतिकारी एकजुटता के लिए लोगों का आह्वान करना है. दिशा ने बताया कि आज क्रांतिकारियों के शहादत के 92 साल बाद भी देश में आम मेहनतकश आबादी की जिंदगी में दुखों का पहाड़ है. उन्होंने बताया कि छात्र युवा बेरोजगारी के संकट से त्रस्त है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल ही देश में सवा लाख से ज्यादा युवाओं ने आत्महत्या की है यह आंकड़े बताते हैं कि 2019 से 2021 की 3 सालों में देश में 1लाख 12 हजार देहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की है.

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नौजवान भारत सभा के राजू ने सभा को किया संबोधित

वहीं नौजवान भारत सभा के राजू ने कहा कि आज के दौर में यह बहुत साफ है कि देश की तमाम चुनाव बाज पार्टियों ने आजादी के 75 सालों में केवल देश की आम जनता को लूटने का ही काम किया है. भाजपा ने सत्ता में आने के बाद लूट के सारे पिछले रिकॉर्ड ध्वस्त किए हैं. ऐसे दौर में हम भगत सिंह और उनके साथियों की क्रांतिकारी विरासत को याद कर रहे हैं उन्होंने कहा था कि हमारी लड़ाई इस बात की नहीं है कि गोरे साहब जाए और भूरे साहब राज करें जाति धर्म के नाम पर आम जनता को लड़ाने बांटने की राजनीति ही देश के नेताओं ने अंग्रेजों से ही सीखी है. ऐसे दौर में जरूरी है कि हम अपने असली सवालों को पहचाने और एकजुट होकर इस क्रांतिकारियों के सपनों की समाज के निर्माण के लिए आगे आए.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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