Bhai Dooj Vrat katha: भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इस साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि दो दिन 14 और 15 नवंबर को होने की वजह से भाई दूज की तारीख को लेकर लोग कन्फ्यूजन में हैं कि भाई दूज कब हैं. भाई दूज का पर्व 15 नवंबर दिन बुधवार को है. धार्मिक मान्यता है कि भाई दूज के दिन व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. इस व्रत काथा को मात्र पढ़ने से भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है. आइए यहां पर पढ़ने है भाई दूज व्रत कथा…
भाई दूज पर्व के संबंध में एक कथा यह प्रचलित है. बहुत समय व्यतीत हो जाने पर एक दिन’यम’ को अपनी बहन यमुना की बहुत याद आई. यम ने दूतों से यमुना को ढूढ़ने के लिए कहा, लेकिन उन्हें तलाशने में दूत बिफल रहे. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यम की मुलाकात यमुना जी से हुई. यमुना जी ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था. इससे प्रसन्न होकर यमदेव ने कहा बहन ! वरदान में जो चाहे मांग लो, बहन यमी के मन में जन कल्याण की चिंता हुई और उन्होंने कहा, भैया मुझे वरदान दो कि जो प्राणी मेरे जल में स्नान करें उन्हें यमपुरी की कठोर यातनायें न सहनी पड़े. इस दिन सभी यमलोक के जीवों को यातना से छुटकारा मिल गया था और वह तृप्त हो गए थे, इस दिन सभी जीवों ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया, जो बहुत ही सुखदायक था. इसलिए इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.
जनकल्याण के प्रति बहन की व्याकुलता देख यमदेव ने कहा कि जो प्राणी अपनी बहन का तिरस्कार करेंगे उन्हें बार-बार अपमानित करेंगे उन्हें मैं यमपाश में बांधकर यमपुरी ले जाऊंगा फिर भी यदि वह तुम्हारे जल में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देगा तो उसे स्वर्गलोक में स्थान मिलेगा. तभी से यह त्योहार मनाया जाता है, जिनकी बहनें दूर रहती हैं, वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं. मत्स्य पुराण के अनुसार ‘भाईदूज’ को मृत्यु के देवता ‘यम’ को प्रसन्न करने के लिये उनका षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है.
ब्रजमंडल में इसदिन बहनें अपने भाइयों के साथ यमुना में स्नान करती हैं, यमुना तट पर भाई-बहन का साथ-साथ स्नान एवं भोजन करना कल्याणकारी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहनों को दक्षिणा आदि देने से शत्रु का भय, अकाल मृत्यु और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं और धन, ऐश्वर्य, बल, बुद्धि इत्यादि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन संध्या काल में दीप प्रज्वलित करने से पहले घर के बाहर यमराज की उपासना के लिए चार दीपक वाला दीपदान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से भी घर में सुख समृद्धि आती है.