Bhaiya Dooj 2023 Kab Hai: इस दिन मनाया जाएगा भैया दूज, जानें क्या है शुभ मुहूर्त
Bhaiya Dooj 2023 Kab Hai: क्या आप जानते हैं कि भाई दूज का पर्व कब से मनाया जा रहा है और उसके पीछे क्या मान्यता और कहानी है
Bhai Dooj 2023 Kab Hai: यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई -बहन के प्रेम का प्रतिक है. इस दिन भाई -बहन के साथ यमुना स्नान करना तिलक लगाना तथा बहन के घर भाई को जाकर भोजन करना चाहिए. भोजन करने से आपको उन्नति होगा बहन भाई के पूजा कर उनके दीर्घायु तथा अपने सुहाग की कामना से हाथ जोड़ यमराज से प्रार्थना करती है. इस दिन यमुना जी अपने भाई यमराज को भोजन कराया था इस लिए इसे यमदितिया भी कहते है .इस दिन श्रद्धालु भाई अपने बहन को ,सवर्ण ,वस्त्र मुद्रा आदि बहन को देना चाहिए. यह त्योहार भाई -बहन के अटूट प्रेम को दर्शाने वाला यह त्योहार है .
भाई दूज का क्या है रहस्य
कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल -फुल मिठाई और दिये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवन श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी इसी दिन से बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है .भाई उपहार देते है .
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भाई दूज के तिलक का समय
15 नवम्बर 2023 दिन बुधवार समय 12 :39 दोपहर से 02:50 दोपहर तक
तिलक का पूरा अवधि 02 :11 मिनट तक रहेगा
भाई दूज क्या है कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और संज्ञा की दो संतानें – एक पुत्र यमराज, दूसरी पुत्र यमुना है. एकबार सज्ञा सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं तो वह उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगीं. जिसके कारण ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ. सज्ञा के उत्तरी ध्रुव में बसने के कारण यमलोक ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई और यमुना गोलोक में निवास करने लगीं. लेकिन यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम और स्नेह था.एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को यमुना ने अपने भाई यमराज को निमंत्रण भेजा. यमुना के निमंत्रण पर यमराज यमुना के घर आ गए. यमुना ने स्नान व पूजन के बाद स्वादिष्ट व्यंजन यमराज को दिए और आदर सत्कार किया. यमुना के सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और वरदान मांगने का आदेश दिया. यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसको तुम्हारा भय ना रहे. यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान कर गए. उसी दिन से इस दिन भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई. मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाई-बहन को यमराज और यमुना का पूजन अवश्य करना चाहिए.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
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