Bhanu Saptami: कब है भानु सप्तमी? इन दिन सूर्य पूजा से दूर हो जाती है सारी बीमारी, जानें पूजा विधि, महत्व
भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी का व्रत रखा जाएगा इस महीने यह तिथि 9 जनवरी को है.
भानु सप्तमी के दिन विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करने वालों को धन, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना गया है कि भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार की बीमारियां दूर रहती हैं.
भानु सप्तमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. यह माना जाता है कि भानु सप्तमी की पूर्व संध्या पर, सूर्य देवता ने सात घोड़ों के रथ पर अपनी पहली उपस्थिति दर्शायी थी. विभिन्न सप्तमी तीथों में, भानु सप्तमी बहुत शुभ मानी जाती है और पश्चिमी भारत और दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाई जाती है. प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष पर जब रविवार पड़ती है तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है.
भानु सप्तमी के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करने से प्रसन्न होते हैं सूर्य देव
भानु सप्तमी के दिन सूर्य स्तोत्रों और आदित्य हृदय स्तोत्रों का जाप करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन जाप के साथ महा-अभिषेक करके भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इस दिन गरीबों को फल, कपड़े आदि का दान करना भी शुभ होता है.
भानु सप्तमी का महत्व
भानु सप्तमी के दिन को उस दिन का संकेत माना जाता है जब भगवान सूर्य अपने रथ पर पृथ्वी पर आये थे. भगवान सूर्य के आगमन ने पृथ्वी पर जीवन ला दिया. धार्मिक मान्यता है कि भगवान सूर्य सभी प्राणियों के निर्माता हैं और जीवन शक्ति और स्वास्थ्य के स्वामी भी हैं. जो व्यक्ति भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और भानु सप्तमी का व्रत रखते हैं उन्हें अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
भानु सप्तमी के दिन क्या करें
• भानु सप्ती के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने का विधान है.
• संभव हो तो पवित्र नदी में स्नान करने और फिर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए.
• सूर्य की शुभ किरणों का स्वागत करने के लिए घर के प्रवेश द्वार के सामने रंगोली बनाने औैर रंगोली के बीच में, गाय के गोबर को जलाने की परंपरा है.
• मिट्टी के बर्तन में दूध उबालकर सूर्य की ओर रखा जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह माना जाता है कि जब दूध उबल रहा होता है तो वह सूर्य तक पहुंच जाता है.
• इसके बाद खीर तैयार की जाती है, जो अनाज और गेहूं के बारह ढेर से बनी होती है. उसी को प्रसाद के रूप में सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है.
• फिर ब्राह्मणों को दान दिया जाता है क्योंकि यह शुभ फल देने वाला माना जाता है.
भानु सप्तमी पूजा विधि
. सुबह जल्दी उठने और पवित्र नदी में स्नान करने करने की परंपरा है. ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करना चाहिए.
स्नान के दौरान अक्का और हल्दी के कुछ पत्तों को सिर पर रखा जाता है, जिस पर पानी डाला जाता है.
इसके बाद, जातक वेदी पर सूर्य यंत्र लगाते हैं.
उसके बाद भगवान सूर्य को फूल, प्रसाद और जल चढ़ाया जाता है.
भानु सप्तमी व्रत नियम
भानु सप्तमी व्रत सुबह से शुरू होता है और व्रत का समापन सूर्यास्त के बाद किया जाता है.
भानु सप्तमी व्रत के लाभ
• धार्मिक मान्यता है कि भानु सप्तमी के दिन पवित्र गंगा में स्नान करने वाले भक्तों को अपने जीवन में कभी भी गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता.
• भानु सप्तमी पूजा करने वाली महिलाएं को सौभाग्य कर आशीर्वाद मिलता है.
• भानु सप्तमी व्रत करने से स्वस्थ और सुखी जीवन, सुख संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है.
• सूर्य देव के आशीर्वाद से, भक्त घातक रोगों से मुक्त हो जाते हैं और भाग्य सुधर जाता है.