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पश्चिम बंगाल: आदिवासी सेंगेल अभियान के भारत बंद से बाधित रही रेल सेवा, दुकानें भी रहीं बंद

आदिवासी सेंगेल अभियान के पूर्व बर्दवान जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मुर्मू ने बताया कि कुछ दिनों पहले पांच सूत्री मांगों पर अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 15 जून को राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया था. इसके आलोक में आज गुरुवार को सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया गया

बर्दवान/पानागढ़(पश्चिम बंगाल): आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान पूर्व बर्दवान के मेमारी में बंद समर्थकों ने आज गुरुवार (15 जून) को विरोध प्रदर्शन किया. आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से मेमारी के चकदिघी चौराहे पर प्रतिवाद सभा की गयी. वहां से विरोध जुलूस की शक्ल में आदिवासी, मेमारी जीटी रोड रेल फाटक पर पहुंचे और रेल लाइन पर विरोध प्रदर्शन किया. इससे एक घंटे तक चले अवरोध से ट्रेन सेवाएं जहां-तहां थम गयीं और यात्रियों को काफी परेशानी हुई. इसे देखते हुए रेल व पुलिस प्रशासन के आग्रह पर आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों ने अवरोध हटा लिया. उसके बाद ट्रेनों की आवाजाही सामान्य हुई.

सरना धर्म कोड को मान्यता समेत ये हैं मांगें

आदिवासी सेंगेल अभियान के पूर्व बर्दवान जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मुर्मू ने बताया कि कुछ दिनों पहले पांच सूत्री मांगों पर अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 15 जून को राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया था. इसके आलोक में आज गुरुवार को सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया गया. उनकी मांगों में वर्ष 2023 में सरना धर्म कोड को मान्यता देना, प्रकृति पूजक आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति(एसटी) का दर्जा देना, संताली को झारखंड की पहली राजभाषा की मान्यता देना और आदिवासियों के इष्ट मरांग बुरू यानी पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह, झारखंड को जैनियों के कब्जे से मुक्त करा कर आदिवासियों को लौटाना शामिल है. यह भी कि असम व अंडमान के झारखंड मूल के प्रकृति पूजक आदिवासियों को एसटी की सूची में तुरंत शामिल किया जाये.

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आंदोलन के कारण कई दुकानें रहीं बंद

टीएमसी, झामुमो, बीजद व कांग्रेस की ओर से गैरआदिवासी कुड़मी, महतो को वोट बैंक के लिए एसटी सूची में शामिल करने की साजिश अविलंब रोकी जाये. आरोप है कि मेमारी में गुरुवार सुबह व्यापारियों को डरा-धमका कर जबरन उनकी दुकानें बंद करायी गयीं. हालांकि बाद में आदिवासी सेंगेल अभियान के जिलाध्यक्ष ने इसके लिए माफी मांगी और गलती स्वीकारी. आदिवासी आंदोलन के चलते मेमारी में कई दुकानें बंद रहीं.

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